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हाईकोर्ट ने जीटीबी एनक्लेव पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, जीरो एफआइआर दर्ज कर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश

यौन उत्पीड़न व दुष्कर्म से जुड़े मामले में जीरो एफआइआर दर्ज करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि जीरो एफआइआर दर्ज कर पुलिस ने की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 08:59 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 07:45 AM (IST)
हाईकोर्ट ने जीटीबी एनक्लेव पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, जीरो एफआइआर दर्ज कर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश
जीरो एफआइआर कर पुलिस ने पल्ला झाड़ने की कोशिश।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। यौन उत्पीड़न व दुष्कर्म से जुड़े मामले में जीरो एफआइआर दर्ज करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि जीरो एफआइआर दर्ज कर पुलिस ने की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश है। पीठ ने जहां दुष्कर्म मामले में एफआइआर दर्ज कर फौरन जांच शुरू की जानी चाहिए थी, वहां जीरो एफआइआर कर पुलिस ने पल्ला झाड़ने की कोशिश।

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पीठ ने कहा कि इस न्यायालय को यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि आम नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली संस्थाएं अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश करती हैं। यह जांच एजेंसियों पर लोगों का भरोसा कमजोर करता है। नियमित प्राथमिकी दर्ज करने में विफलता के कारण समय बर्बाद होता है, जबकि इसका इस्तेमाल जांच करने में किया जा सकता है। इसके कारण महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो सकते हैं। पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए जीटीबी इन्क्लेव थाना पुलिस को जीरो एफआइआर के बजाए नियमित एफआइआर दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया। पीठ ने साथ ही गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाना पुलिस को सितंबर 2019 में दर्ज की गई एफआइआर को जीटीबी इन्क्लेव को सौंपने का भी निर्देश दिया।

अपराध की गंभीरता को समझने में विफल रही पुलिस

पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में कथित अपराध पुलिस स्टेशन जीटीबी एन्क्लेव के अधिकार क्षेत्र में हुआ था। इसलिए अदालत की राय है कि पुलिस स्टेशन जीटीबी एन्क्लेव जीरो एफआइआर के बजाए नियमित प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने के लिए बाध्य था। पीठ ने कहा कि जीटीबी थाना पुलिस ने जांच को इंदिरापुरम थाने में स्थानांतरित करके याची द्वारा बताए गए अपराध की गंभीरता को समझने और अपने दायित्व को निभाने में विफल रही है।

यह है पूरा मामला

पूरा मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की रहने वाली एक महिला से जुड़ा है। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसके चचेरे भाई ने ही उसके साथ कई सालों तक यौन उत्पीड़न व दुष्कर्म किया था। महिला ने जीटीबी एन्क्लेव थाना पुलिस द्वारा जांच बहाल करने की मांग की। महिला ने आरोप लगाया था कि जांच को अवैध तरीके से गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया था।

याचिका के अनुसार 23 जुलाई 2019 को उसने जीटीबी एन्क्लेव पुलिस स्टेशन में शिकायत दी थी और कहा था कि विभिन्न स्थानों पर वर्ष 2008 से 2019 तक उनके साथ यौन उत्पीड़न व दुष्कर्म किया गया। याचिका के अनुसार पुलिस ने मामले में जीरो एफआइआर दर्ज कर जांच उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया।

निर्भया कांड के बाद किया गया था प्रविधान

याची की तरफ से दलील दी गई कि दिसंबर 2012 में हुए निर्भया दुष्कर्म व हत्या मामले के बाद नए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम-2013 में न्यायमूर्ति वर्मा कमेटी की रिपोर्ट में सिफारिश के तौर पर जीरो एफआईआर का प्रविधान किया ;गा था। राज्य सरकार पीड़ित की जीरो एफआइआर दर्ज कर सकती है चाहे उनका निवास स्थान या अपराध की जगह कुछ भी हो।


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