छठ पूजा के लिए लोगों के इकट्ठा होने की मांग पर हाई कोर्ट सख्त, हर किसी को पढ़नी चाहिए ये तल्ख टिप्पणी
न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने दिल्ली में नदी के किनारे सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा समारोह आयोजित करने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। कहा कि जान की सुरक्षा सर्वोपरि है। तलाब नदी और मंदिर में पूजा जैसे समारोह से संक्रमण बढ़ सकता है।
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। सार्वजनिक छठ पूजा समारोह करने की इजाजत की मांग को लेकर दायर याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि कोई उत्सव मनाने के लिए व्यक्ति का जिंदा रहना जरूरी है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने दिल्ली में नदी के किनारे सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा समारोह आयोजित करने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। पीठ ने कहा कि दिल्ली में नागरिकों की जान की सुरक्षा सर्वोपरि है और तलाब, नदी और मंदिर जैसे इलाके में छठ पूजा जैसे किसी समारोह को आयोजित करने की अनुमति देना संक्रमण के बढ़ने में मदद करेगा।
सार्वजनिक छठ पूजा की इजाजत देने की मांग वाली याचिका खारिज
पीठ ने उक्त टिप्पणी दुर्गा जन सेवा ट्रस्ट की तरफ से दायर याचिका पर की। ट्रस्ट ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के 10 नवंबर के आदेश को चुनौती दी है। ट्रस्ट ने छठ पूजा के लिए एक हजार लोगों की सभा के आयोजन की अनुमति देने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने ट्रस्ट द्वारा एक हजार लोगों के लिए समारोह आयोजन की मांग पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए टिप्पणी की कि ऐसे समय में जब सरकार शादी में 50 से अधिक लोगों को शामिल होने की अनुमति नहीं दे रही है, आप आप एक हजार लोगों के लिए समारोह आयोजित करना चाहते हैं।
दिल्ली में हर दिन हजारों लोग हो रहे संक्रमित
पीठ ने कहा कि ऐसे समय में जब दिल्ली में हर दिन हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं, ट्रस्ट को उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि सरकार उन्हें इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने की अनुमति देगी। अदालत ने यह भी कहा कि संक्रमण की जमीनी हकीकत से दूर ट्रस्ट इस तरह की अनुमति चाहता है। ट्रस्ट की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता रंजन चौधरी ने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के हजारों लोग इस त्योहार को मनाते हैं और ट्रस्ट द्वारा हर वर्ष किरारी एमसीडी मैदान पर इसका आयोजन किया जाता है। उन्होंने यह भी कि कोरोना महामारी के कारण छठ पूजा प्रतिबंधित कर लोगों की भावनाओं को दरकिनार किया गया है।
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