दिल्ली HC की अहम टिप्पणी- सिर्फ एक व्यक्ति के बयान पर नहीं ठहरा सकते दोषी
एक युवक की हत्या के मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले तीन याचिकाकर्ताओं की याचिका पर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने कहा कि अदालत में यह साबित हुआ कि युवक को बेरहमी से कई वार करके ¨हसक तरीके से मारा गया। लेकिन अदालत के सामने अहम तथ्य यह है कि क्या आरोपितों शमशाद
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। एक युवक की हत्या के मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले तीन याचिकाकर्ताओं की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने कहा कि अदालत में यह साबित हुआ कि युवक को बेरहमी से कई वार करके हिंसक तरीके से मारा गया, लेकिन अदालत के सामने अहम तथ्य यह है कि क्या आरोपितों शमशाद उर्फ मरप्पन, अकरम और शाहरुख ने ही युवक को गंभीर चोटें दी थीं?
पीठ ने कहा कि अदालत को यह भी देखना है कि क्या सिर्फ एक व्यक्ति के बयान के आधार पर किसी को दोषी ठहराया जा सकता। याचिका पर सुनवाई के बाद अपने फैसले में न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि अभियोजक पक्ष द्वारा पेश किए गए एकमात्र गवाह होरी लाल के बयान में अंतर है। गवाह होरी लाल ने अदालत में कहा कि वह अपने दोस्त नौशाद (मृतक) के साथ उक्त फैक्ट्री में चोरी करने के गया, लेकिन वह अंदर नहीं गया था। हालांकि, वह यह नहीं बता सका कि फैक्ट्री का गेट किस तरफ था।
इतना ही नहीं उसने अदालत में बयान दिया था कि उसे नौशाद की मौत की खबर उसी दिन मिल गई थी, जबकि पुलिस की पूछताछ में उसने कहा था कि उसे नौशाद के मरने की जानकारी 2 से 3 दिन बाद मिली थी। अदालत ने पाया कि गवाह के बयान में विरोधाभास है। वहीं, फैक्ट्री मालिक जस¨वदर पाल कोहली ने बयान दिया है कि उस दिन आरोपित फैक्ट्री में काम करने आए थे। लेकिन, वह यह नहीं बता सके कि जब फैक्ट्री के अंदर नौशाद के साथ यह घटना हुई तो उस दौरान आरोपित फैक्ट्री में थे या नहीं।
वहीं, अदालत में पेश की गई सीसीटीवी फुटेज में भी आरोपितों के चेहरे नहीं दिखाई दिए, जिससे उनकी घटनास्थल पर उपस्थिति साबित हो सके। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि जब तक की होरी के बयान के साथ अपराध से जुड़े कुछ अन्य तथ्य सामने नहीं आते सिर्फ बयान के आधार पर आरोपितों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में निचली अदालत द्वारा सुनाया गया फैसला रद किया जाता है।
निचली अदालत ने सुनाई थी सजा 3 जुलाई 2017 को बवाना थानाक्षेत्र भगत सिंह चौक सेक्टर-2 के पास नौशाद का शव मिला था। मामले की लंबी जांच के बाद पुलिस ने नौशाद की मां हसीना खातून व उसके दोस्त होरी लाल के बयान पर शमशाद, अकरम व शाहरुख को गिरफ्तार किया था। पुलिस द्वारा दाखिल किए गए आरोप पत्र पर निचली अदालत ने 7 जुलाई 2018 को आरोपितों को दोषी करार देते हुए सात साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।