मानव तस्करी व दुष्कर्म की शिकार महिला ने मांगा 19 लाख का मुआवजा, हाई कोर्ट में दाखिल की याचिका
Delhi Crime News मानव तस्करी और दुष्कर्म का शिकार हुई महिला द्वारा 19 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार दिल्ली महिला आयोग और कानूनी सेवा प्राधिकरण से जवाब मांगा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मानव तस्करी और दुष्कर्म का शिकार हुई महिला द्वारा 19 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली महिला आयोग और कानूनी सेवा प्राधिकरण से जवाब मांगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई नौ दिसंबर के लिए स्थगित कर दी।महिला ने याचिका दायर करके कहा कि वह मेघालय के एक गांव में रहती है और गरीब परिवार से है। नौकरी दिलाने के बहाने उसका चचेरा भाई 20 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी दिलाने का झांसा देकर जनवरी 2020 में उसे दिल्ली लेकर आया था जोकि अन्य लोगों के साथ मिलकर मानव तस्वरी का गिरोह चलाता था। जब वह यहां पहुंची तो उसे एक फ्लैट में ले जाया गया और वहां एक व्यक्ति ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
इसके बाद उसे कई लोगों को बेचा गया और उन्होंने भी उसका यौन शोषण किया। फरवरी 2020 में वह भागने में सफल रही थी और एक दोस्त की मदद से मालवीय नगर पुलिस स्टेशन से संपर्क कर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने कहा कि स्पष्ट शिकायत देने के बावजूद भी पुलिस अधिकारियों द्वारा दुष्कर्म की धारा में रिपोर्ट दर्ज नहीं करने पर वह चौक गई थी।
महिला ने दावा किया कि उसने फरवरी-2021 में 19 लाख रुपये के मुआवजा की मांग करते हुए दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना और महिलाओं के लिए मुआवजा योजना/यौन उत्पीड़न/अन्य अपराध-2018 के तहत मुआवजे के लिए एक आवेदन दायर किया था। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मुआवजे के लिए आवेदन दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को भेजा गया था। हालांकि, अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
23 सप्ताह के गर्भ को गिराने की मांग वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
वहीं, गंभीर शारीरिक विकृति से पीडि़त 23 सप्ताह के भ्रूण को गिराने की मांग वाली महिला की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने लेडी हार्डिंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने महिला की जांच करने और तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई पांच अक्टूबर को होगी।
महिला ने कहा कि वह 23 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति चाहती है। अधिवक्ता स्नोहा मुखर्जी के माध्यम से याचिका दायर करने वाली महिला ने बताया कि हाल ही में कराए गए अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में पता चला कि उसका भ्रूण गंभीर शारीरिक विकृति से पीडि़त है क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें अन्य समस्याओं के अलावा खोपड़ी की हड्डी नहीं है। नियम के तहत गर्भधारण की अवधि 20 सप्ताह से अधिक होने की स्थिति में गर्भ को समाप्त करने की अनुमति नहीं है।