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डॉक्टरों ने किया अनोखा कारनामा, दिल को हथेलियों से मसाज कर बचाई जान

15 मिनट तक ओपन हार्ट मसाज करने पर दिल ने दोबारा काम करना शुरू कर दिया। शरीर के दूसरे हिस्सों में रक्त आपूर्ति शुरू होते ही यह भी पता चल गया कि रक्त रिसाव किस जगह से हो रही है।

By Edited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 08:35 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 02:30 PM (IST)
डॉक्टरों ने किया अनोखा कारनामा, दिल को हथेलियों से मसाज कर बचाई जान
डॉक्टरों ने किया अनोखा कारनामा, दिल को हथेलियों से मसाज कर बचाई जान

नई दिल्ली (जेएनएन)। किसी मरीज को हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट होने पर डॉक्टर सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रेससिटेशन) देकर मरीज की हालत स्थिर करने की कोशिश करते हैं। लेकिन एम्स ट्रॉमा सेंटर में रीढ़ के निचले हिस्से की सर्जरी के दौरान रक्त स्राव होने से कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित एक महिला मरीज को बचाने में जब सीपीआर काम नहीं आया तो डॉक्टर ने मरीज के दिल को दोनों हथेलियों के बीच रखकर मसाज किया, जिससे मरीज को जिंदगी मिली।

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इस मामले में एम्स के डॉक्टरों ने दो अनोखे कारनामे किए, इसलिए ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) ने इसे मेडिकल रोमांच करार देते हुए इस तकनीक की सराहना की है। असल में 42 वर्षीय महिला मरीज रीढ़ की बीमारी (प्रोलैप्स डिस्क) से पीड़ित थीं। इस वजह से उन्हें ठीक से बैठने और लेटने में परेशानी होती थी। इसलिए एम्स में रीढ़ के निचले हिस्से की सर्जरी चल रही थी।

इस दौरान कोई प्लेट धंसने के कारण राइट कॉमन इलियक आर्टरी (मुख्य धमनी की शाखा) क्षतिग्रस्त हो गई। इसके अलावा कुछ और नसों को भी नुकसान पहुंचा। इस कारण नसों से रिसाव होने लगा। लिहाजा ऑपरेशन टेबल पर महिला मरीज का ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया। मरीज की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने सर्जरी छोड़कर उसे सीपीआर देना शुरू किया। साथ ही ब्लड भी चढ़ाया गया। फिर भी हालत में सुधार नहीं हुआ और मरीज को कार्डियक अरेस्ट हो गया।

ट्रॉमा सेंटर के सर्जन प्रोफेसर डॉ. बिप्लब मिश्रा ने कहा कि कार्डियक अरेस्ट में दिल की गति रुक जाती है और वह पंप करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में मरीज को बचा पाना मुश्किल होता है। इसलिए तुरंत चीरा लगाकर हार्ट का चेंबर खोलकर मैनुअल तरीके से दिल का मसाज (ओपन हार्ट मसाज) शुरू किया गया।

15 मिनट तक ओपन हार्ट मसाज करने पर दिल ने दोबारा काम करना शुरू कर दिया। शरीर के दूसरे हिस्सों में रक्त आपूर्ति शुरू होते ही यह भी पता चल गया कि रक्त रिसाव किस जगह से हो रही है। इसके बाद दो नसों में टांके लगाए गए, लेकिन राइट कॉमन इलियक आर्टरी का करीब पांच सेंटीमीटर हिस्सा काटकर हटाना पड़ा, क्योंकि इसे आपस में जोड़ पाना संभव नहीं था। क्योंकि पांच सेंटीमीटर हिस्सा हटाने के बाद ऊपर और नीचे के हिस्से के बीच काफी दूरी बन गई थी।

यदि वह जोड़ी नहीं जाती तो मरीज के दायें पैर में रक्त आपूर्ति बंद हो जाती। ऐसे में दूसरा करिश्मा यह हुआ कि राइट कॉमन इलियक को पैल्विक हिस्से में मौजूद इंटरनल कॉमन इलियक आर्टरी से जोड़ दिया गया। डॉ. मिश्रा ने कहा कि इस सर्जरी के पांच-सात दिन बाद ही वह अपने पैरों पर चलकर घर वापस गई थीं।


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