आखिर कैसे मात देंगे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को, तीन साल से नहीं हुआ एक भी मरीज का इलाज
डॉक्टर एसपी भनोट के नौकरी छोड़ने से जिला नागरिक अस्पताल में वर्ष 2016 में कैंसर वॉर्ड बंद हुआ था, जो आज भी बंद है। स्वास्थ्य विभाग व सरकार वर्ष में एक बार विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर के प्रति लोगों को जागरुक करती है लेकिन उनके इलाज पर कोई खास इंतजाम नहीं। कभी जिला अस्पताल कैंसर वार्ड के कारण शहर के बड़े अस्पतालों की आमनदनी कम कर दी थी। बेहतर व सस्ते इलाज के चलते कभी शहर के बड़े -बड़े अस्पतालों में कैंसर वार्ड के दरवाजे बंद होने लगे थे। सरकारी अस्पताल में कैंसर पीड़ित के लिए वार्ड वरदान बन चुका था ले
गुरुग्राम, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग व सरकार वर्ष में एक बार विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करती है, लेकिन उनके इलाज पर कोई खास इंतजाम नहीं। कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. एसपी भनोट के द्वारा नौकरी छोड़ने से जिला नागरिक अस्पताल में वर्ष 2016 में बंद हुआ कैंसर वॉर्ड आज भी बंद है।
शहर के बड़े अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीज कभी जिला अस्पताल कैंसर वार्ड का रुख करने लगे थे। मरीजों की संख्या अच्छी खासी थी। बेहतर व सस्ते इलाज के चलते शहर के बड़े-बड़े अस्पतालों में कैंसर वार्ड बंद होने लगे थे।
सरकारी अस्पताल का कैंसर वार्ड पीड़ितों के लिए वरदान था, लेकिन आज यह वार्ड बंद पड़ा है। तीन वर्ष पहले डॉक्टर ने वीआइपी ड्यूटी व अन्य नीतियों से परेशान होकर वीआरएस ले लिया था।
साल 2007 में जिला अस्पताल में कैंसर विंग की शुरुआत होने के बाद 20 बेड के कैंसर वार्ड में मार्च 2016 तक 9 वर्ष के दौरान साढ़े छह हजार मरीजों को इलाज दिया गया है। इनमें 2600 मरीजों को एडमिट किया गया और 400 के करीब ऐसे मरीजों के ऑपरेशन किए गए जो तीसरी व चौथी स्टेज के कैंसर से ग्रस्त थे।
इन में 181 ऐसे मरीजों के ऑपरेशन किए गए जिनको मुंह व गले का कैंसर था। 131 महिला मरीजों का ऑपरेशन किया गया जिनको स्तन कैंसर था। 365 ऐसे मरीजों का ऑपरेशन किया गया, जो प्रथम स्टेज के कैंसर से ग्रस्त थे। इन सभी मरीजों का मुफ्त इलाज किया गया था।