भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के आरोपों से जुड़े उल्लंघन पर ईडी पर लागू होता है आरटीआइ का प्रविधान : दिल्ली HC
दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम सुनवाई के दौरान कहा कि कर्मचारियों को उनके मौलिक और कानूनी अधिकारों से केवल इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता है क्योंकि पदोन्नति से संबंधित दस्तावेजों की आपूर्ति न करना मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सूचना के अधिकारी के तहत (आरटीआइ) के तहत छूट का हवाला देते हुए जानकारी देने से इन्कार करने से एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है। न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की पीठ ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के आरोपों से जुड़े उल्लंघन पर आरटीआइ का प्रविधान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर लागू होता है। पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति की पदोन्नति से संबंधित दस्तावेजों की आपूर्ति न करना मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा। ऐसे में अदालत की राय में एक खुफिया व सुरक्षा प्रतिष्ठान में काम करने के कारण इसके कर्मचारियों को उनके मौलिक और कानूनी अधिकारों से केवल इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसा करना यह मानने के बराबर होगा कि इन संगठनों में सेवा करने वालों के पास कोई मानवाधिकार नहीं है।
पीठ ने उक्त टिप्पणी केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) के निर्णय पर रोक लगाने से इन्कार करने के एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देने ईडी की याचिका पर दिया। पीठ ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा कहा जाता है कि 'सूर्य का प्रकाश सबसे अच्छा कीटाणुनाशक है' और आरटीआइ अधिनियम उक्त अवधारणा को बढ़ावा देता है। पीठ ने ईडी की उस दलील पर सहमति व्यक्त की कि आरटीआइ के तहत खुफिया और सुरक्षा संगठन होने के नाते ईडी को भ्रष्टाचार व मानवाधिकारों के उल्लंघन से के अलावा अन्य मामलों में इसके दायरे से छूट दी गई है। हालांकि, पीठ ने इस दलील पर असहमति व्यक्त की कि केवल वही जानकारी दी जाती है जोकि भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से संबंधित सरकार को प्रदान की जाती है।
जांच या खुफिया अभियान से जुड़ी जानकारी न देने की ईडी हकदार
पीठ ने यह भी कहा कि प्रतिवादी ने राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गई किसी भी जांच या खुफिया अभियानों के बारे में जानकारी नहीं मांगी। अगर ऐसी जानकारी मांगी जाए तो ईडी आरटीआइ के तहत जानकारी देने से इन्कार करने का हकदार है।पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि आरटीआइ अधिनियम की धारा-11 के मद्देनजर प्रतिवादी को तीसरे पक्ष को बढ़ावा देने के प्रस्तावों से संबंधित जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती है।पीठ ने उक्त टिप्पणियों के साथ एजेंसी को आरटीआइ अधिनियम के तहत मांगे गए सभी प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।
यह है मामला
ईडी के प्रशासनिक विभाग में कार्यरत एक महिला अधीक्षक ने आरटीआइ के तहत ईडी से 1991 से अब तक के निचले संभागीय लिपिकों (एलडीसी) की वरिष्ठता सूची से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।साथ ही विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) के समक्ष रखे गए प्रतिवादी एलडीसी की पदोन्नति के प्रस्ताव की प्रतियों के साथ बैठक के कार्यवृत्त की प्रतियां और डीपीसी की सिफारिशों पर समय-समय पर जारी पदोन्नति/अस्वीकृति आदेश की एक प्रति देने की भी मांग की थी। इस मामले पर सीआइसी ने सात दिसंबर 2018 को ईडी को जानकारी देने का आदेश दिया था। सीआइसी के निर्णय को ईडी ने चुनौती दी थी।याचिका को सात दिसंबर 2018 को खारिज करते हुए एकल पीठ ने सीआइसी के आदेश पर रोक लगाने इनकार कर दिया था।