VVPAT पर्चियों के जांच का मामला: हाई कोर्ट ने कहा- चुनाव आयोग दे जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि लोकसभा चुनाव 2019 में इस्तेमाल किए गए VVPAT में सभी मुद्रित पर्चियों के जांच की मांग पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
नई दिल्ली, एएनआइ। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि लोकसभा चुनाव 2019 में इस्तेमाल किए गए VVPAT इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के प्रिंटर के ड्रॉप बॉक्स में सभी मुद्रित पर्चियों के रिकॉर्ड के निरीक्षण की मांग करने वाले याचिकाकर्ता की पेशकश पर प्रतिक्रिया दें।
यह आदेश डिविजन बेंच के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर द्वारा पारित किया गया है। याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता हंस राज जैन हैं जिन्होंने वीवीपैट में इस्तेमाल की गई पर्चियों के जांच का मामला उठाया है। अब तक मामले पर उनकी पेशकश चुनाव आयोग के पास लंबित है, कोर्ट ने आयोग को कानून के अनुसार इसपर प्रतिक्रिया देने को कहा है।
मताधिकार में इस बात की जानकारी शामिल है कि वास्तव में दिया गया मत किसे जा रहा है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ईवीएम के मतों की संख्या व 373 विधानसभा क्षेत्रों में दिए गए वोटों की संख्या में बड़ा अंतर था। याचिकाकर्ता ने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से जानकारी दी कि तमिलनाडु के कांचीपुरम लोकसभा सीट के इवीएम में 12,14,086 वोट डाले गए लेकिन गिनती के अनुसार, 12,32,417 वोट थे। याचिका में बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित पोलिंग बूथ पर इस्तेमाल किए गए दो इवीएम व वीवीपैट पर भी सवालिया निशान लगाया गया है।
इसमें आगे कहा गया है कि 2019 चुनाव में पारदर्शी सुविधा के बजाए चुनाव आयोग ने काले रंग के परत से ढकी खिड़की का इस्तेमाल किया था। बता दें कि पारदर्शी सुविधा के तहत यह सुविधा दी थी कि वोटर के आगे पांच सेकेंड तक प्रिंटर बैलट रहता ताकि वह इसे वेरिफाई कर सके।
इसलिए सील बक्से में गिरने से पहले वोटर के पास अपने वोट को वेरिफाई करने का समय नहीं था। चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट सिद्धांत कुमार ने तर्क दिया कि चंद्रबाबू नायडू के मामले में अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले पर फैसला लिया जा चुका है।
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