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Yamuna River Pollution News: यमुना में प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार पर दबाव बनाएगी हरियाणा सरकार

Yamuna River Pollution News जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने इस बाबत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र भी लिखा है। इसमें शेखावत ने कहा है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को यमुना के प्रदूषण को देखते हुए वित्तीय सहयोग भी किया है।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 12:32 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 04:01 PM (IST)
Yamuna River Pollution News: यमुना में प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार पर दबाव बनाएगी हरियाणा सरकार
यमुना में प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार पर दबाव बनाएगी हरियाणा सरकार

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]।  हरियाणा सरकार दिल्ली में बह रही यमुना में प्रदूषण के लिए जिन तथ्यों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अपना पक्ष रखती रही है, उन पर अब केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने भी अपनी मुहर लगा दी है। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने इस बाबत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र भी लिखा है। इसमें शेखावत ने कहा है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को यमुना के प्रदूषण को देखते हुए वित्तीय सहयोग भी किया है। नमामि गंगे परियोजना के तहत दिल्ली सरकार को 13 परियोजनाओं के लिए 2419 करोड़ रुपये की राशि दी है। इससे प्रतिदिन 1385 मिलियन लीटर सीवर का पानी साफ करने का लक्ष्य रखा गया था। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि इस अत्यंत गंभीर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। शेखावत ने अपने पत्र में यहां तक कहा कि यमुना की सफाई दिल्ली सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण परियोजनाओं के अवार्ड में भी देरी की गई। जल शक्ति मंत्रालय के इस पत्र के बाद हरियाणा सरकार एक बार फिर दिल्ली सरकार पर यमुना की सफाई का दबाव बनाएगी।

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राज्य सरकार ने परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा की अध्यक्षता में दक्षिण हरियाणा के विधायकों की एक कमेटी गठित की है। यह कमेटी यमुना सफाई को लेकर दिल्ली व केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखेगी। हालांकि दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने इसके बाद बयान जारी कर कहा है कि यमुना की सफाई दिल्ली की सर्वोच्च प्राथमिकता है। यमुना किसी एक राज्य की नहीं बल्कि पूरे देश की है। यमुना में अंतर-राज्यीय प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार अपने खर्चे पर मास्टर प्लान तैयार कर रही है।

दिल्ली के 13 सीईटीपी में से दो ही पूरे कर रहे हैं प्रदूषण नियंत्रक मापदंड

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को यमुना में प्रदूषण फैलाने वाले तथ्यों को विस्तार से आंकड़ों के साथ भेजा है। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 28 हजार से अधिक उद्योग हैं। इनमें से 1500 जल प्रदूषण की श्रेणी में आते हैं। इन उद्योगाें के 28 कलस्टर हैं। इनमें 17 कलस्टर के लिए 13 कामन एंड कंबाइंड इफ्ल्यूेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) हैं। इनकी क्षमता 212 लीटर मिलियन प्रतिदिन है। दिल्ली सरकार की मासिक रिपोर्ट के अनुसार कुल 36 मिलियन लीटर अपशिष्ट जल ही शोधन के लिए 13 सीईटीपी तक पहुंचता है। इन 13 सीईटीपी में से दो ही प्रदूषण नियंत्रक मापदंड पूरे करते हैं।

यमुना में गंदगी कहां से गिरती है, यह अब चर्चा का विषय नहीं है। तथ्यात्मक रूप से हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रख चुकी है। यमुना जब हरियाणा से दिल्ली की सीमा प्रवेश करती है तो पानी में बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा 2.56 मिलीग्राम प्रति लीटर तथा डिजाल्वड आक्सीजन (डीओ) की मात्रा 7.19 मिलीग्राम प्रति लीटर होती है। इसके बाद जब यमुना का पानी ओखला बैराज पहुंचता है तो बीओडी की मात्रा 37.36 और डीओ की मात्रा 2.60 पर पहुंच जाती है।

मूलचंद शर्मा (परिवहन मंत्री, हरियाणा) का कहना है कि दक्षिण हरियाणा में सिंचाई और स्वच्छ पेयजल के लिए यमुना एक तरह से लाइफ लाइन है। इसके अलावा तीर्थ नगरी मथुरा-वृंदावन में तो यमुना धार्मिक आस्था से भी जुड़ी है। यहां पहुंचने वाले देश-विदेश के तीर्थयात्री यमुना जल का आचमन भी नहीं कर पाते हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने हमारे तथ्यों पर मुहर लगाई है। अब संभवतया दिल्ली सरकार यमुना सफाई के लिए कुछ कारगर कदम उठाएगी। 


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