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Toolkit Case: ग्रेटा थनबर्ग पर भी शिकंजा कसेगी दिल्ली पुलिस, दिशा-निकिता के साथ बनाई जा सकती है आरोपित

Toolkit Case दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर गूगल को ईमेल भेजकर पूछा था कि टूलकिट दुनिया के किस देश व किस शहर में तैयार की गई? और किस आइपी एड्रेस से इसे इंटरनेट मीडिया पर डाला गया?

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 15 Feb 2021 12:10 PM (IST)Updated: Mon, 15 Feb 2021 12:25 PM (IST)
Toolkit Case: ग्रेटा थनबर्ग पर भी शिकंजा कसेगी दिल्ली पुलिस, दिशा-निकिता के साथ बनाई जा सकती है आरोपित
जांच में पता चला था कि टूलकिट के दस्तावेज के जरिये देश को बदनाम करने के लिए साजिश रची थी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों को भड़काने और भारत की छवि खराब करने के लिए टूलकिट बनाने की आरोपित दिशा रवि को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस अब ग्रेटा थनबर्ग पर भी शिकंजा कसेगी। पुलिस की साइबर सेल का कहना है कि टूलकिट को स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने तीन फरवरी को ट्वीट किया था, जिसके बाद बवाल मचा। ऐसे में ग्रेटा को भी आरोपित बनाया जा सकता है। पुलिस ने मामला दर्ज कर गूगल को ईमेल भेजकर पूछा था कि टूलकिट दुनिया के किस देश व किस शहर में तैयार की गई? और किस आइपी एड्रेस से इसे इंटरनेट मीडिया पर डाला गया?

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ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट की जांच में पता लग गया था कि खालिस्तान समर्थक संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के सहयोग से टूलकिट तैयार की गई थी। उसे बाद में वायरल करने के लिए इंटरनेट मीडिया में प्रेषित किया गया था। पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का सह संस्थापक कनाडा निवासी मो धालीवाल है। दिल्ली पुलिस आंदोलन के संबंध में इंटरनेट मीडिया पर डाले जाने वाले पोस्ट की लगातार निगरानी कर रही थी। पुलिस ने 300 से अधिक ट्विटर हैंडल की पहचान की थी। ज्यादातर ट्विटर हैंडल का प्रयोग कुछ संगठन और व्यक्तियों द्वारा अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए किया जा रहा था।

टूल किट में जैसा लिखा गया था, सारी घटनाएं उसी तरह घटीं

प्रारंभिक जांच में पता चला था कि टूलकिट के दस्तावेज के जरिये देश को बदनाम करने के लिए साजिश रची गई थी कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन को लेकर 26 जनवरी या उससे पहले हैशटैग के माध्यम से डिजिटल स्ट्राइक की जाए। इसके तहत इससे जुड़े सभी लोगों को 23 जनवरी को ट्वीट को ट्रेंड भी करवाना था। अलग-अलग संगठन के लोगों को 26 जनवरी के दिन दिल्ली में मौजूद रहकर विरोध करना था। बाद में उन्हें ट्रैक्टर परेड में शामिल उपद्रवियों के साथ वापस दिल्ली की सीमाओं पर लौटने को भी कहा गया था। टूल किट में जैसा लिखा गया था, सारी घटनाएं उसी तरह घटीं। इससे साफ है कि न सिर्फ इंटरनेट मीडिया पर चलाया गया अभियान, बल्कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुआ उपद्रव भी एक साजिश का हिस्सा था। टूल किट बनाने वालों की मंशा उपद्रव फैलाकर विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों व समूहों के बीच मतभेद पैदा करना था, ताकि केंद्र सरकार को दबाव में लाया जा सके।


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