पश्चिमी दिल्ली, गौतम कुमार मिश्रा। प्रदूषण रहित परिचालन (ग्रीन ड्राइव) को बढ़ावा देने के लिए उपनगरी द्वारका में साइकिल ट्रैक के अलावा रिक्शा व ई- रिक्शा के लिए भी अलग से लेन बनाने की योजना की घोषणा डीडीए की ओर से जोर-शोर से की गई थी। करीब पांच वर्ष पूर्व जब इस योजना की घोषणा डीडीए ने की थी तब रिक्शा के लिए अलग से बनने वाले इस लेन को नन मोटर व्हीकल (एनएमवी) लेन का नाम दिया गया था।
साइकिल ट्रैक व एनएमवी लेन के निर्माण के लिए डीडीए ने 120 करोड़ के बजट का प्रावधान किया था। बजट के कुल पैसे में से 60 करोड़ साइकिल ट्रैक व 60 करोड़ एनएमवी लेन के निर्माण पर खर्च होना था। कई वर्ष बाद जब इस योजना पर जमीनी स्तर पर काम शुरू नहीं हुआ तो अब उपनगरी के लोगों को लग रहा है कि यह योजना खटाई में पड़ चुकी है। अब चुनावी समय में द्वारका के लोग इस योजना के बावत जनप्रतिनिधियों से सवाल करने का मन बना रहे हैं।
डीडीए की ओर से साइकिल ट्रैक व एनएमवी लेन की योजना अलग अलग जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी, लेकिन एक बात जो दोनों योजनाओं में सामान्य थी वह यह कि दोनों योजनाएं पर्यावरण, लोगों की जरूरत व यातायात की समस्या को ध्यान में रखकर बनाई गई थी। तब यह कहा गया था कि यदि सब कुछ सही रहा तो आने वाले चार से पांच वर्षों से इस योजना को अमलीजामा पहना दिया जाएगा।
क्या थी साइकिल ट्रैक योजना :
अभी 23 आवासीय सेक्टरों में फैली उपनगरी द्वारका में सार्वजनिक परिवहन की पर्याप्त सुविधा न होने से लोगों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में लोगों को छोटी दूरी तय करने के लिए भी निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। कई बार तो अकेला आदमी भी कहीं आने-जाने के लिए कार का इस्तेमाल करता है। इन निजी वाहनों का सड़क पर दबाव पड़ता है। इससे सुचारू यातायात में व्यवधान के साथ-साथ लोगों के पैसे की बर्बादी होती है। साथ ही पर्यावरण के लिहाज से भी यह सही नहीं है। इस समस्या का समाधान डीडीए ने साइकिल ट्रैक की योजना के माध्यम से ढूंढने की कोशिश की। इस योजना में डीडीए ने उन जगहों को चिन्हित किया है जहां से लोगों का आना-जाना अधिक होता है। ऐसे जगहों में बाजार, मेट्रो स्टेशन, स्कूल, अस्पताल व अन्य संस्थान शामिल हैं। उपनगरी की बसावट को ध्यान में रखते हुए डीडीए ने इन जगहों को नजदीकी आवासीय सेक्टरों से जोड़ने का फैसला किया। योजना के अनुसार दो जगहों को जोड़ने के लिए साइकिल ट्रैक का निर्माण होता। इस ट्रैक की दूरी आम दूरी की तुलना में कम होगी। ट्रैक की दूरी कम से कम हो इसके लिए जरूरी होने पर इसे पार्कों व हरित पट्टियों के बीच से भी गुजारा जाता। जहां जरूरत होती वहां आवासीय सेक्टरों के बीच से भी इस ट्रैक को गुजारा जा सकता था। साइकिल ट्रैक पर जगह-जगह साइकिल रखे होते। यहां से व्यक्ति साइकिल ले जा सकता था और लाकर रख भी सकता था। योजना का लाभ लेने के लिए व्यक्ति को डीडीए द्वारा निर्धारित शुल्क व एक प्रमाण पत्र जमा कराना होता।
एनएमवी लेन :
साइकिल ट्रैक के विपरीत एनएमवी लेन को मुख्य सड़क के सामानांतर बनाया जाना था। लेन निर्माण के लिए द्वारका के वर्तमान फुटपाथ की ऊंचाई को कम कर जमीन के स्तर तक लाया जाता। लेन के लिए थोड़ी जगह मुख्य सड़क से तथा थोड़ी जगह फुटपाथ व सर्विस लेन से जानी थी। यह लेन साइकिल ट्रैक से भी सटा रहता। खास बात यह थी कि फुटपाथ पर कायम हरियाली को किसी बात का नुकसान नहीं हो इस बात का पूरा ख्याल इस लेन के निर्माण में रखा जाना था।
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