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हाथीदांत टावरों में रह रहे सरकारी अधिकारी महामारी की स्थिति से नहीं वाकिफ : हाई कोर्ट

पीठ ने तल्ख टिप्पणी दिल्ली स्थित पैनेशिया बायोटेक की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की।करोड़ों रुपये के आर्बिटल अवार्ड के संबंध में जुलाई 2020 में अदालत ने बायोटेक के पक्ष में फैसला सुनाया था।हालांकि बायोटेक ने उस अंडरटेकिंग दिया था कि वह इस आर्बिटल अवार्ड को लागू नहीं करेगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 06:15 AM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 08:35 AM (IST)
हाथीदांत टावरों में रह रहे सरकारी अधिकारी महामारी की स्थिति से नहीं वाकिफ : हाई कोर्ट
आरडीआइएफ के सहयोग से भारत में स्पुतनिक-वी के निर्माण का काम कर रहा है पैनेशिया बायोटेक

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कोरोना महामारी की स्थितियों पर सजग नहीं होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कोरोना ने एक भी परिवार को नहीं बख्शा है और अभी भी केंद्र सरकार के अधिकारी जमीनी हकीकत से बेखबर हाथीदांत टावरों में रह रहे हैं। न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि भारत में स्पुतनिक-वी टीका का निर्माण टीकों की कमी से जूझ रहे राष्ट्र के लिए अवसर। पीठ ने एक और तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि भगवान इस देश को आशीर्वाद दे। इतने लोगों की जान लेने के बावजूद भी सरकार कोरोना महामारी के प्रति सजग नहीं है।

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दिल्ली की पैनेशिया बायोटेक लिमिटेड कंपनी के नए आवेदन पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि स्पुतनिक-वी टीका के निर्माण के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआइएफ) के साथ पैनेशिया बायोटेक के सहयोग को भारत में टीके के उपयोग को सुनिश्चित करने के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। ऐसे मामलों में उच्चतम अधिकारियों को 30 मिनट के अंदर निर्देश लेना चाहिए। पीठ ने कहा कि जब सरकार के पास लाखों टीके प्राप्त करने का अवसर है और इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए तब कोई भी अपना दिमाग नहीं लगा रहा है।

पीठ ने यह तल्ख टिप्पणी दिल्ली स्थित पैनेशिया बायोटेक की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की। करोड़ों रुपये के आर्बिटल अवार्ड के संबंध में जुलाई 2020 में अदालत ने बायोटेक के पक्ष में फैसला सुनाया था। हालांकि, बायोटेक ने उस अंडरटेकिंग दिया था कि वह इस आर्बिटल अवार्ड को लागू नहीं करेगा।

कोरोना वैक्सीन के निर्माण में पैसों की कमी को देखते हुए अब कंपनी ने अपने नए आवेदन में मध्यस्थ पुरस्कार को रिलीज करने की मांग की है। उसने कहा कि मानवता के व्यापक हित में जल्द-से-जल्द धन की जरूरत है, क्योंकि उसने पहले ही आरडीआइएफ के सहयोग से कोरोना टीका स्पुतनिक-वी के परीक्षण बैचों का निर्माण किया है और और विनिर्माण पैमाने की प्रक्रिया जारी है। पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर याचिका की जांच करने और एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई 31 मई को होगी।

पीठ ने कहा कि अगर हमने अपनी प्रक्रियाओं को तेज नहीं किया तो मौतें होती रहेंगी। हर दिन आपको हर अदालत द्वारा फटकार लगाई जाती है और फिर भी आप जाग नहीं रहे हैं। पीठ ने पूछा कौन सा नौकरशाह आपको निर्देश दे रहा है। ऐसा लगता है कि एक प्रचंड आग लगी है और किसी को कोई परवाह ही नहीं है।

तो पटरी से उतर जाएगी वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया: कंपनी

सुनवाई के दौरान कंपनी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा यदि प्रदान की गई धनराशि जारी नहीं की गई तो सबसे तेज गति से वैक्सीन के निर्माण की पूरी प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है। इसके कारण होने वाली देरी मानवता के बड़े हित में नहीं होगी।

वैक्सीन के निर्माण से भारत को नहीं होगा लाभ : केंद्र सरकार

वहीं, दूसरी तरफ से सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने कहा कि स्पुतनिक-वी के निर्माण से देश को कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि ये आरडीआइएफ द्वारा वैश्विक आपूर्ति के लिए होगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि याचिका में कुछ भ्रामक तथ्य दिए गए हैं और इसकी आपात जरूरत नहीं है क्योंकि टीकों को भारत के बाहर बेचा जाना है। वहीं, सेठी ने इसके जवाब में कहा कि सरकार की सहमति के बिना किसी भी निर्मित टीके का निर्यात नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ये टीके केवल भारतीय उपयोग के लिए हैं और इससे सरकार को फायदा होगा क्योंकि यह फर्म टीकों के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों की आपूर्ति करती है। याचिका पर केंद्र द्वारा आपत्ति उठाने पर पीठ ने कहा कि सरकार के पास टीकों की कमी है और कंपनी निर्माण करने और बिक्री का 20 फीसद अदालत में जमा करने को तैयार हैं तो इसे एक अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए।


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