Delhi Slum Eviction News: दिल्ली के 2 लाख से अधिक लोगों को मिली बड़ी राहत !
Delhi Slum Eviction News सोमवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी किसी भी झुग्गी को नहीं हटाया जाएगा।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Delhi Slum Eviction: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे 48,000 झुग्गियों में रहने वाले 2 लाख से अधिक लोगों के लिए सोमवार का दिन बड़ी राहत लेकर आया। एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से कहा गया है कि फिलहाल किसी झुग्गी को नहीं हटाया जाएगा, वहीं रेलवे के अलावा केंद्र और राज्य सरकार की ओर मिलकर लोगों के लिए विकल्प तलाशने की बात कही गई है। इसका एक मतलब यह भी हुआ कि हो सकता है इन झुग्गियों में रहने वालों के लिए छोटे मकान बनाने की राह तलाशी जाए। सोमवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी किसी भी झुग्गी को नहीं हटाया जाएगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों रेलवे को 3 महीने के भीतर झुग्गियों को हटाने का निर्देश दिया था। इसके तहत दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे 140 किलोमीटर रूट पर स्थित 48,000 झुग्गियां 3 महीने के दौरान हटाई जानी थीं। इसी के के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि कोई भी झुग्गियां हटाने के आदेश पर स्टे नहीं देगा और न ही राजनीतिक हस्तक्षेप ही होगा।
वहीं, राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट गए दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन की ओर से दायर याचिका में कहा है कि इन झुग्गियों में 2 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। ऐसे में इस कोरोना काल में वह कहां जाएंगे, जबकि इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।
यहां पर बता दें कि पिछले कुछ दशकों के दौरान रेल पटरी के किनारे 50 हजार झुग्गियां बस गई हैं। रेलवे से जुड़े अधिकारियों की मानें तो उनकी लगभग 5,98,798 वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा है, जिस पर 50 हजार से ज्यादा झुग्गियां बना ली गईं हैं। रेलवे का कहना है कि इन झुग्गियों की उपस्थिति के चलते हुए अतिक्रमण से ट्रैक के रखरखाव और साफ-सफाई में परेशानी होती है। जाहिर है इससे रेल परिचालन भी बाधित होता है। सुरक्षा के लिहाज से भी अतिक्रमण हटाना जरूरी है। इन अवैध झुग्गियों में रहने वाले लोग पटरी को शौचालय के रूप में इस्तेमाल करते हैं। बच्चे पटरियों पर खेलते हैं। पटरी किनारे बनी दुकानों के आसपास भीड़ इकट्ठी रहती है। इन लोगों के ट्रेन की चपेट में आने का खतरा बना रहता है।
यह भी जानें
- रेलवे अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार के सहयोग के बिना रेलवे की जमीन पर से अतिक्रमण हटाना मुश्किल है।
- पहले एक जनवरी, 2006 तक बनी झुग्गियों के पुनर्वास करने का फैसला किया गया था, जिसे राज्य सरकार ने बढ़ाकर एक जनवरी, 2016 कर दिया है।
- प्रति झुग्गी 15 हजार रुपये मुआवजा की राशि भी 22 लाख रुपये कर दी गई है।
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