कोरोना के खिलाफ जंग में जीवन को बचाने दिनचर्या में आया नयापन, स्टडी में सामने आईं कई बातें
सार्वजनिक परिवहन भी लोगों को कोरोना का भय दिखा रहा है तो आफिसों में घर से कार्य करने वालों की तादाद बढ़ रही है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Life post covid: कोविड-19 से निपटने को दिल्ली एनसीआर ही नहीं, देश भर के लोगों ने अपनी जीवन-शैली बदल ली है। अधिकांश लोग न तो अब बाहर के खाने में दिलचस्पी ले रहे हैं और न ही पार्क में सैर करने के लिए जा रहे हैं। सार्वजनिक परिवहन भी लोगों को कोरोना का भय दिखा रहा है तो आफिसों में घर से कार्य करने वालों की तादाद बढ़ रही है।
सीएसइ ने आंकड़ों से तैयार किया अध्ययन
दरअसल, सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) ने लॉकडाउन के तीन माह मार्च, अप्रैल और मई के दौरान गूगल मोबिलिटी डाटा के जरिए लोगों की गतिविधि क्षेत्र, आवाजाही, परिवहन के तरीके के बारे में आंंकड़े लेकर एक अध्ययन किया है। इसमें सामने आया है कि इस महामारी ने जीवन के हर हिस्से को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया है। लोगों की गतिविधियां बहुत हद तक अपने घरों के आसपास सिमट गई है। कार्यालय क्षेत्र अथवा अन्य जगहों पर भी आवागमन काफी कम रह गया है।
आवासीय क्षेत्र में 29 फीसद बढ़ी आवाजाही
अध्ययन के मुताबिक आवासीय क्षेत्र में लोगों की आवाजाही पहले की तुलना में 29 फीसद बढ़ी है। लोग अपनी जरूरतों के लिए आसपास ही आवागमन कर रहे हैं। पार्क वगैरह में भी 60 फीसद तक घट गई है। वहीं, घर से काम करने एवं कार्यालयों के बंद होने के कारण कार्यालयों के आसपास के क्षेत्रों की आवाजाही पर भी 81 फीसद की कमी आई है। संक्रमण के डर से होटल, रेस्तरां, मनोरंजन स्थलों पर भी लोगों के आवागमन में 84 फीसद के लगभग कमी दर्ज की गई है।
निजी वाहनों का प्रयोग बढ़ा
संक्रमण के डर से ही बसों, ऑटो, ई रिक्शा इत्यादि में भी यात्रियों की संख्या 70 से 90 फीसद तक कम हो गई है। इसी के चलते सार्वजनिक परिवहन सेवा की अवधि घट गई है तो सप्ताहांत में साधन भी कम रह जाते हैं। दूसरी तरफ निजी वाहनों का प्रयोग बढ़ा है।
प्रदूषण में 45 से 88 फीसदी तक कमी
लॉकडाउन और लोगों की गतिविधियां सीमित होने का असर प्रदूषण पर भी देखने को मिला। देश के छह बड़े शहरों में प्रदूषण के स्तर में 45 से 88 फीसदी तक की कमी देखने को मिली है। हालांकि लॉकडाउन में ढील मिलते ही प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी भी देखने को मिली। इसमें दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई शामिल हैं।
इस उम्र और आय वर्ग के लोग रहे अध्ययन का हिस्सा
सीएसई के इस अध्ययन में 18 से 25 वर्ष के 15 फीसद, 26 से 35 वर्ष के 57 फीसद, 36 से 45 वर्ष के 13 फीसद, 45 से 60 वर्ष के 13 और 60 वर्ष के 2 फीसद लोगों की हिस्सेदारी रही। इसी तरह 25 हजार तक की आय वाले 11 फीसद, 25 से 50 हजार वाले 24 फीसद, 50 हजार से एक लाख वाले 38 फीसद, एक लाख से अधिक आय वाले 27 फीसद लोगों की रायशुमारी रही।
कोविड-19 महामारी ने लोगों की जीवनशैली में भी खासा बदलाव किया है। यह बदलाव भविष्य में भी पुराने ढर्रे पर लौटना सहज नहीं लग रहा। इसीलिए बेहतर भविष्य के लिए इस अध्ययन में कुछ सुझाव भी दिए गए हैं। सरकार के स्तर पर एक्शन प्लान भी तैयार किया जा सकता है।
-अनुमिता रायचौधरी, कार्यकारी निदेशक, सीएसई