Good News: विद्यार्थियों को अपनी डिग्री निकलवाने के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे एसओएल के चक्कर, मात्र इस काम से घर पहुंचेगी डिग्री
प्रो. पांडेय डिग्री का सही व्यक्ति तक पहुंचना आवश्यक है। इसलिए डाक विभाग से करार किया गया है ताकि विद्यार्थियों के हाथ में डिग्री दी जाए। अभी एक दिन में एक हजार डिग्री भेजने की शुरुआत की गई है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विद्यार्थियों को अब अपनी डिग्री निकलवाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्कूल आफ ओपन लर्निग (एसओएल) के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इसकी वजह यह है कि अब एसओएल खुद विद्यार्थियों के घर तक डिग्री पहुंचाने जा रहा है। इसके लिए डाक विभाग से करार भी हो चुका है। डाकिया घर तक सुरक्षित तरीके से डिग्री पहुंचाएगा। वर्ष 2005 से 2019 के बीच यहां पढ़ाई करने वालों को डाक से डिग्री भिजवाई जाएगी।
एसओएल ओएसडी प्रो. उमाशंकर पांडेय ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद भी विद्यार्थी डिग्री लेने नहीं आ रहे हैं। एसओएल के पास बड़ी संख्या में डिग्री पड़ी है। इसलिए यह पहल शुरू की गई है। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए विद्यार्थियों को एसओएल की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा। उन्हें परीक्षा रोल नंबर आदि बताना होगा। यदि किसी विद्यार्थी पर बकाया शेष है तो उसका भुगतान करना जरूरी है।
मसलन, यदि किसी ने लाइब्रेरी की पुस्तक नहीं लौटाई, लाइब्रेरी शुल्क का भुगतान नहीं किया या माइग्रेशन का कोई भुगतान शेष है, तो इन सभी का भुगतान होने के बाद ही वेबसाइट पर पंजीकरण हो पाएगा। बकौल प्रो. पांडेय डिग्री का सही व्यक्ति तक पहुंचना आवश्यक है। इसलिए डाक विभाग से करार किया गया है, ताकि विद्यार्थियों के हाथ में डिग्री दी जाए। अभी एक दिन में एक हजार डिग्री भेजने की शुरुआत की गई है। हमारा प्रयास है कि विद्यार्थी का जो पता हमारे पास उपलब्ध है, उस पर जल्द से जल्द डिग्री पहुंचाई जाए।
मुंडका अग्निकांड के विरोध में मजदूरों का मार्च
मुंडका में फैक्ट्री में हुए अग्निकांड के विरोध में आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल आफ ट्रेड यूनियंस के बैनर तले मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन कर मार्च निकाला। मार्च सिविल लाइंस स्थित सुश्रुत ट्रामा सेंटर से शुरू हुआ, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग कर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बवाना, नरेला, करोल बाग, अनाज मंडी, मुंडका में मजदूरों के जिंदा जल जाने की घटनाएं हुई हैं, लेकिन फैक्ट्री मालिक व प्रशासन मजूदों के अधिकार की अनदेखी कर रहे हैं।
अधिकतर फैक्टि्रयों में आने-जाने के लिए एक ही रास्ता होता है। उनके पास न फायर एनओसी होती है। जिससे मजदूरों की जान जोखिम में रहती है। यूनियंस के राज्य अध्यक्ष संतोष राय ने कहा कि कार्यस्थल पर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। प्रत्येक मृत मजदूर के परिवार को 50 लाख का मुआवजा और आश्रित को नौकरी दी जाए। औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यस्थल पर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर संयुक्त अभियान भी चलाया जाएगा।