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अब आपके ई-कचरे से निकाला जाएगा सोना व चांदी, IIT के प्रोफसर ने बनाई नायाब मशीन

ई-कचरे को 550 से 700 डिग्री सेल्सियस तक दो से तीन घंटे तक गरम किया जाता है। इसके बाद इससे सोना चांदी तांबा समेत अन्य विभिन्न प्रकार की धातुएं बाहर निकलती हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 12:21 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 12:30 PM (IST)
अब आपके ई-कचरे से निकाला जाएगा सोना व चांदी, IIT के प्रोफसर ने बनाई नायाब मशीन
अब आपके ई-कचरे से निकाला जाएगा सोना व चांदी, IIT के प्रोफसर ने बनाई नायाब मशीन

नई दिल्ली [राहुल मानव]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (Indian Institute of Technology Delhi) के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर केके पंत के नेतृत्व में छात्रों द्वारा एक ऐसी तकनीक को विकसित किया गया है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) को रिसाइकिल करके सोना एवं चांदी समेत कई अन्य धातुओं को निकाला जा सकेगा।

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केके पंत ने विकसित की है यह तकनीक

जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार के विज्ञान एवं तकनीक विभाग (Department of Science and Technology ) के कचरा प्रबंधन कार्यक्रम के अधीन इस तकनीक को विकसित किया है। प्रो. के.के.पंत अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आशियान देशों के छात्रों के लिए घोषित किए गए पीएचडी फेलोशिप प्रोग्राम को प्रमोट करने के लिए सिंगापुर गए हुए हैं।

हर दिन रिसाइकल होता है 50 किलो ई-वेस्ट

उन्होंने दैनिक जागरण संवाददाता से सिंगापुर से बातचीत में बताया कि यह एक तरह की मशीन है, जिससे हर दिन 50 किलो के ई-वेस्ट को रिसाइकिल किया जा सकता है। इस मशीन के अंदर ई-वेस्ट जैसे मोबाइल, लैपटॉप, बैटरी आदि को डालकर उसे 550 से 700 डिग्री सेल्सियस तक दो से तीन घंटे तक गरम किया जाता है। इसके बाद इससे सोना, चांदी, तांबा समेत अन्य विभिन्न प्रकार की धातुएं बाहर निकलती हैं।

मोबाइल फोन से ज्यादा निकलता है सोना

बताया जा रहा है कि ऐसे में अगर एक टन ई-वेस्ट को रिसाइकिल किया जाए तो इससे 300 ग्राम सोना, 650 ग्राम चांदी एवं 200 ग्राम तक तांबा निकलेगा। उन्होंने बताया कि गुणवत्ता की दृष्टि से अच्छे मोबाइल फोन से ज्यादा मात्रा में सोना-चांदी निकलता है। इन मोबाइल फोन को अगर रिसाइकिल किया जाए तो सोना-चांदी निकलने की मात्रा में और इजाफा हो सकता है।

तीन साल में तकनीक को किया गया विकसित

प्रो. केके पंत ने बताया कि तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद इस तकनीक को विकसित किया है। अभी इस पर और भी काम चल रहे हैं। संस्थान की लैब के अंदर इसे तैयार किया गया है। इसमें संस्थान के केमिकल इंजीनियरिंग से पीएचडी कर रहे छात्र प्रशांत यादव ने भी काम किया है। प्रशांत ने छात्रों का नेतृत्व किया है।

प्लास्टिक को भी किया जा सकेगा रिसाइकिल

पंत ने बताया है कि भविष्य में इस मशीन के जरिये प्लास्टिक को भी रिसाइकिल किया जा सकेगा। जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकेगा। इस तकनीक को निजी क्षेत्र में भी पहुंचाने के लिए बातचीत की जा रही है। साथ ही सरकार के साथ मिलकर भी कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में इस पर काम किया जाएगा। यह तकनीक कचरा प्रबंधन क्षेत्र, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग एवं धातुएं बनाने वाले उद्योग के लिए भी लाभदायक होगी।

यहां पर बता दें कि ई-कचरा सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ी समस्या बन चुका है, क्योंकि इसे नष्ट करना बेहद दूभर होता है। खासकर प्लास्टिक और धातु से बने सामान को नष्ट करना काफी लंबी प्रक्रिया है। भारत समेत दुनिया के तमाम बड़े देश ई-कचरा के प्रबंधन पर तेजी से काम कर रहे हैं, जिससे आने वाले कुछ सालों में इस पर लगाम लगाई जा सके और ई-कचरा को उचित तरीके से ठिकाने लगाया जा सके।

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