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GNCT Bill: राज्यसभा से बिल पास होने पर गुस्से में AAP, दिल्ली मे फिर खिचेंगी तलवारें

आदमी पार्टी ने अपने तेवरों से साफ कर दिया है कि वे चुप हाेकर बैठ जाने वालों में शामिल नहीं हैं। विधेयक पास हो जाने के बाद जिस तरह से आप सरकार की तीखी प्रतिक्रिया आई है। उससे साफ हो रहा है कि दिल्ली में पहले वाले हालात दिखाई देंगे।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 08:10 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 01:33 PM (IST)
GNCT Bill: राज्यसभा से बिल पास होने पर गुस्से में AAP, दिल्ली मे फिर खिचेंगी तलवारें
दिल्ली में अब एक बार फिर से सरकार एवं एलजी के बीच टकराव बढ़ने वाला है।

नई दिल्ली [वी के शुक्ला]। उपराज्यपाल के अधिकारों को बढ़ाने वाला विधेयक बुधवार को राज्यसभा से भी पास हो जाने के बाद अब दिल्ली की सत्ता में टकराव की आशंका बढ़ गई है। इस विधेयक के पास होने के बाद अब सारी शक्तियां उपराज्यपाल के पास चली जाएंगी। यहां तक कि विधानसभा में प्रस्ताव या विधानसभा की समितियों को भी कार्रवाई के लिए उपराज्यपाल से अनुमति देनी होगी।

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वहीं, आदमी पार्टी ने अपने तेवरों से साफ कर दिया है कि वे चुप हाेकर बैठ जाने वालों में शामिल नहीं हैं। विधेयक पास हो जाने के बाद जिस तरह से आप सरकार की तीखी प्रतिक्रिया आई है। उससे साफ हो रहा है कि दिल्ली में पहले वाले हालात दिखाई देंगे।

दिल्ली की राजनीतिक स्थिति की बात करें तो आम आदमी पार्टी 2013 में पहली बार 49 दिन सत्ता में रही थी। उसके बाद 2015 में हुए चुनाव में पूर्ण बहुमत से सत्ता में जरूर आई थी। मगर सरकार के 2018 तक महत्वपूर्ण करीब तीन साल टकराव में ही खराब हो गए थे। सरकार में काम ठप हो गया था।

अधिकारी मंत्रियों की बैठकों में नहीं जाते थे। विभाग प्रमुख फाइलें सीधे उपराज्यपाल के पास भेजते थे। विभाग के मंत्री को पता भी नहीं होता था कि फलां फाइल कहां है। उस समय यह अंदेशा लगाया जाता था अब अगले दिन किस मुद्दे पर विवाद होगा। उस समय दिल्ली सरकार अपने काे पूरी सरकार मानती थी और उपराज्यपाल कार्यालय कहता था कि हम से स्वीकृति लो। ऐसे माहौल में नौकरशाही बीच में पिस रही थी। ऐसे में जो अधिकारी पाले के इधर या उधर दिखे, उन्हें भी किसी न किसी तरह से परेशानी उठानी पड़ी थी।

उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ने के बाद अब टकराव की पूरी संभावना है। हालांकि पिछले कुछ माह में देखें तो दिल्ली की सरकार भी अब टकराव से बच रही थी। क्योंकि दिल्ली में सभी काम हो रहे थे। उपराज्यपाल कार्यालय से भी सरकार को सहयोग मिल जा रहा था। पिछले तीन सालों में सरकार की कोई बड़ी योजना नहीं रुकी है। मगर अब ऐसा नहीं माना जा रहा है।


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