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40वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में दिखी आत्मनिर्भर भारत की झलक, हस्तशिल्प को भी मिला बाजार

14 दिवसीय इस मेले में सही मायनों में आत्मनिर्भर भारत की झलक मिली। करीब 70 हजार वर्ग मीटर में आयोजित इस मेले को दर्शकों के क्रेज ने और भी बड़ा बनाया। कोरोना और प्रदूषण की काली छाया के बावजूद हर दिन मेले में दर्शकों की चहल पहल देखते ही बनी।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 08:45 AM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 08:45 AM (IST)
40वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में दिखी आत्मनिर्भर भारत की झलक, हस्तशिल्प को भी मिला बाजार
कोरोना और प्रदूषण की काली छाया के बावजूद हर दिन मेले में दर्शकों की चहल पहल देखते ही बनी।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इसे देश वासियों की जिंदादिली कहें या हार न मानने की जिद... कोरोना काल में जहां पूरा विश्व लड़खड़ाया, वहीं 40वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में हिन्दुस्तान फिर से अपने पैरों पर खड़ा नजर आया। 14 दिवसीय इस मेले में सही मायनों में आत्मनिर्भर भारत की झलक मिली। करीब 70 हजार वर्ग मीटर में आयोजित इस मेले को दर्शकों के क्रेज ने और भी बड़ा बना दिया। कोरोना और प्रदूषण की काली छाया के बावजूद हर दिन मेले में दर्शकों की चहल पहल देखते ही बनी। दर्शक केवल मेला देखने ही नहीं आए बल्कि उन्होंने अपनी जरूरत और हैसियत के अनुसार खरीदारी भी की।

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गौरतलब है कि कोरोना के कहर की वजह से 2020 में यह मेला आयोजित नहीं हो सका था। दो साल बाद इस बार भी मेला आयोजन की अनुमति सितंबर माह में मिल सकी। यही वजह रही इस बार मेले में विदेशों से केवल नौ देश ही भागीदारी कर सके। लेकिन स्वदेशी हुनर ने इस कमी को महसूस नहीं होने दिया। देश के छोटे छोटे जिलों-कस्बों का हुनर दर्शकों के सिर चढ़कर बोला। आत्मनिर्भर भारत की थीम पर लगे इस मेले में करीब तीन हजार स्टाल लगीं। बिहार पार्टनर और उत्तर प्रदेश व झारखंड फोकस स्टेट रहे। पहले की तरह मेले में राज्य दिवस समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।

बालीवुड के मशहूर गायक सुदेश भोंसले, विनोद राठौड़, सुरेश वाडेकर, रूप कुमार राठौड़ ने अपनी गायकी का जादू बिखेरा वहीं ओस्मान मीर ने शास्त्रीय और सूफ़ी संगीत से महफ़िल को रोशन किया। अन्नू कपूर का अंताक्षरी कार्यक्रम भी हुआ और रैम्बो इंटरनेशनल सर्कस के 27 कलाकारों ने हुनर हाट के मंच से हैरतअंगेज़ करतब दिखा लोगों का मनोरंजन किया।

मेले में दर्शक संख्या का आंकड़ा पांच लाख के आसपास रहा। पूरे मेले में हुए कारोबार का सही आंकड़ा मिल पाना तो संभव नहीं, लेकिन मेला आयोजक भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आइटीपीओ) का अनुमान है कि इस बार मेले में करीब एक हजार करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियां हुईं। अकेले हुनर हाट की ही 282 स्टालों पर 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 500 से अधिक दस्तकारों व कारीगरों ने 12 करोड़ से अधिक का व्यापार किया। झारखंड मंडप की 42 स्टालों पर करीब 20 लाख की बिक्री हुई। सरस मंडप की 137 स्टालों पर 300 महिला हस्तशिल्पियों ने चार करोड़ से अधिक का कारोबार किया। उत्तर प्रदेश और बिहार मंडप में भी लाखों की बिक्री हुई।

2022 में होने वाले 41वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के लिए भी देशी- विदेशी भागीदारों में अभी से उत्साह है। मौजूदा मेले के मुकाबले दोगुना आकार में लगने वाले इस मेले में दर्शकों को अब तक का सबसे सुखद अनुभव होगा। भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद (आइटीपीओ) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एल सी गोयल ने उम्मीद जताई कि कम जगह होने पर भी भागीदार और दर्शकों ने पिछले सालों से जितना सहयोग किया है, अगले साल उन सभी को कहीं अधिक जगह भी मिलेगी और उस मेले में भाग लेना भी उनके लिए यादगार रहेगा।

  • कोरोना से उबरने के क्रम में देश में यह पहला अंतरराष्ट्रीय आयोजन कहा जा सकता है। संक्रमण फैलने के डर को ध्यान में रखते हुए भी हमने एक प्रयास किया, जो सफल रहा। दर्शकों की संख्या जहां सीमित रखी वहीं बीच बीच में रोककर, मेले का हाल देख आनलाइन टिकटों की बिक्री भी दोबारा शुरू की जाती थी। बड़ी संख्या में वालंटियर सिर्फ कोरोना प्रोटोकाल का पालन सुनिश्चित करने के लिए तैनात किए गए। निस्संदेह 2022 का मेला नया अनुभव होगा। तब तक प्रगति मैदान का नवीनीकरण कार्य भी पूरा हो जाएगा। एस आर साहू, महाप्रबंधक (आइआइटीएफ), आइटीपीओ

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