आवेदन फार्म में गलत जानकारी देने से अभिभावकों पर हो सकती है कानूनी कार्रवाई
आपने निवास स्थान की जानकारी गलत है या दिव्यांग श्रेणी के भी अलग से अंक लेने के लिए नकली दस्तावेज बनवाए हैं या कोई भी अन्य जानकारी गलत दी है तो न सिर्फ आपके बच्चे का दाखिला रद हो सकता है।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। दिल्ली के निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह आवेदन प्रक्रिया सात जनवरी को खत्म होगी। इस बीच अभिभावक आवेदन फार्म में कई गलतियां कर रहे हैं, वहीं स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी को लेकर उनके भी मन में कई सवाल और शिकायतें हैं। इन्हीं सब समस्याओं को लेकर दैनिक जागरण से रीतिका मिश्रा ने अखिल भारतीय अभिभावक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...।
नर्सरी दाखिले को लेकर इस बार अधिकतर स्कूलों ने हाई कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित दाखिला मानदंडों को ही दाखिले का आधार बनाया है। अभिभावकों की शिकायत है कि स्कूल इन मानदंडों के आधार पर अंक दे रहे हैं। ऐसे स्कूलों की शिकायतें करने के लिए अभिभावक क्या कर सकते है?
- हाईकोर्ट ने दाखिले को लेकर कुछ नियमों को प्रतिबंधित किया है, लेकिन इसके बाद भी स्कूल मनमानी करते हैं तो अभिभावक मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत कर सकते हैं। सरकार अगर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो अभिभावक हाई कोर्ट भी जा सकते हैं। इसके लिए अभिभावक संघ की भी मदद ली जा सकती है। हालांकि सरकार को भी अब ऐसे कानून बनाने चाहिए कि स्कूल प्रतिबंधित दाखिला मानदंड शामिल करने से पहले दस बार सोचे।
कोरोना महामारी के कारण बीते साल कई अभिभावकों ने दाखिले के लिए आवेदन ही नहीं किया। इस साल भी कोरोना के नए स्वरूप के कारण अभिभावक असमंजस में हैं कि वह आवेदन करें या ना करें। ऐसे अभिभावकों को आप क्या सलाह देना चाहेंगे?
- अभिभावकों को मेरी यही सलाह है कि ये एक दुश्चक्र है और इससे निकलना आसान नहीं है। अगर,आप कोरोना के डर से दाखिला नहीं लेते है तो आपके बच्चे की उम्र बढ़ जाएगी और फिर दाखिला मिलना मुश्किल होगा। अभिभावक बिल्कुल भी असमंजस में न रहें और अगर आपने दाखिले के लिए अभी तक आवेदन नहीं किया है तो तत्काल आवेदन करें। अभिभावकों के पास आवेदन करने के लिए केवल सात जनवरी तक का समय है।
शिक्षा निदेशालय ने हाल ही में सत्र 2021-22 का ईडब्ल्यूएस श्रेणी का तीसरा कंप्यूटराइज ड्रा निकाला है। बीते दो ड्रा में हमें अभिभावकों से यही शिकायत सुनने को मिली की स्कूल उन्हें शिक्षा निदेशालय द्वारा सीट आवंटित होने के बाद भी दाखिला नहीं दे रहे हैं। अभिभावक ऐसे में अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए किस विभाग के पास संपर्क कर सकते हैं?
- देखिए सबसे पहले तो गलती शिक्षा निदेशालय की है। हाई कोर्ट का एक आर्डर है जिसमें यह लिखा है कि जब तक 75 फीसद सामान्य सीटों पर दाखिले नहीं हो जाते तब तक ईडब्ल्यूएस श्रेणी की 25 सीटों पर स्कूल दाखिला नहीं लेंगे। इस आर्डर को शिक्षा निदेशालय ने हाई कोर्ट में चुनौती ही नहीं दी है। जरूरत इस बात की है कि निदेशालय इस आदेश को चुनौती दे। वहीं, अगर कोई स्कूल बच्चे को सीट आवंटित होने के बाद भी दाखिला नहीं दे रहा है तो शिक्षा निदेशालय की जिम्मेदारी बनती है कि वह दाखिला करवाएं। अभिभावक शिक्षा निदेशालय की निजी स्कूल शाखा के अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं, और चाहे तो कोर्ट भी जा सकते हैं।
अभिभावक अक्सर दाखिले के लिए आवेदन करने में कई ऐसी गलतियां कर देते हैं जिनकी वजह से उन्हें सीट नहीं मिल पाती। मसलन, आवेदन में पता, आय या अन्य कोई जानकारी गलत बताना। ऐसे अभिभावकों के लिए कोई सलाह?
- मैं यही कहना चाहता हूं कि आप कोई भी गलत जानकारी न दें। अगर आपके पास कोई जानकारी नहीं है तो आप आवेदन पत्र में उस जगह को खाली छोड़ दें। लेकिन जो भी जानकारी आप आवेदन पत्र में भरें वो सही होनी चाहिए। क्योंकि बच्चे के भविष्य का सवाल है अन्यथा आप को आगे जाकर समस्या हो सकती है। अभिभावक दाखिले के लिए अंक बढ़ाने को लेकर जुगाड़ लगाने की गलती न करें।
वह कौन से नियम हैं जिनके तहत स्कूल दाखिला देने से मना कर सकते हैं?
- ऐसे कई नियम हैं जिनके आधार पर स्कूल दाखिला देने से मना कर सकता है। अगर आप ईडब्ल्यूएस श्रेणी में नहीं आते हैं, लेकिन इस श्रेणी में दाखिला लेने के लिए आपने गलत आय प्रमाण पत्र बनवाया है और उसके आधार पर दाखिला लिया है तो आपका दाखिला रद किया जा सकता है। सामान्य श्रेणी में अगर आपका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आता तो आपके बच्चे का दाखिला नहीं होगा। इसके अलावा अगर आपने आवेदन पत्र में कोई भी गलत जानकारी दी है जैसे कि आपने निवास स्थान की जानकारी गलत है या दिव्यांग श्रेणी के भी अलग से अंक लेने के लिए नकली दस्तावेज बनवाए हैं या कोई भी अन्य जानकारी गलत दी है तो न सिर्फ आपके बच्चे का दाखिला रद हो सकता है बल्कि आपके ऊपर कानूनी कार्रवाई तक हो सकती हैं।