दूधेश्वरनाथ मंदिर में गणपति को लगाया गया 5100 किलो लड्डू का भोग, की गई विशेष पूजा
दूधेश्वरनाथ मंदिर में गणपति को 5100 किलो के लड्डू का भोग लगाया गया। जो विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। मंदिरों व सार्वजनिक स्थानों पर गणपति स्थापना के साथ-साथ कई रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किये गये।
गाजियाबाद [जेएनएन]। बृहस्पतिवार को गणेश चतुर्थी के मौके पर शहर में अनेक स्थानों पर गणपति प्रतिमाएं स्थापित की गयीं। इस मौके पर पूरा शहर ही गणपति भक्ति से सराबोर नजर आया। शहर के प्रमुख मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। घरों में भी लोगों ने व्रत रखा व गणपति की पूजा की। वहीं, पंडालों में भगवान गणेश विराजे। मंदिरों व सार्वजनिक स्थानों पर गणपति स्थापना के साथ-साथ कई रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किये गये।
5100 किलो के लड्डू का भोग
दूधेश्वरनाथ मंदिर में गणपति को 5100 किलो के लड्डू का भोग लगाया गया। जो विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। सिद्ध पीठ श्रीदूधेश्वरनाथ मंदिर में गणेश चतुर्थी के मौके महाराष्ट्र की तर्ज पर विशेष पूजन के साथ भगवान गणपति की स्थापना की गयी। स्थापना सुबह 11.30 बजे की गयी। जिसमें भगवान गणेश को 5100 किलो के एक लड्डू का भोग लगाया गया। ये लड्डू आटा, चीनी, देसी घी, बुरादा, नारियल, बेसन, गोंद, पंचमेवा, इलायची आदि से तैयार किया गया था।
की गई विशेष पूजा
मंदिर के पीठाधीश महंत नारायण गिरि जी महाराज, मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग व दूधेश्वर वेद विद्यापीठ के आचार्य एवं छात्रों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ स्थापना व विशेष पूजन किया गया। वहीं रात 8 बजे सांस्कृतिक एवं भजन संध्या विकी सुनेजा एण्ड पार्टी के द्वारा प्रस्तुत कि गयी। जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
फिर विदा हो जाएंगे बप्पा
मीडिया प्रभारी एसआर सुथार ने बताया कि रोज सुबह 11 बजे तक मंत्रोच्चार के साथ दुर्गा सहस्त्रनाम पाठ से पूजा अर्चना की जायेगी। यह कार्यक्रम चार दिन तक चलेगा। 16 सितंबर को सुबह 10 बजे मंदिर से शोभायात्रा निकाली जायेगी। जो कई इलाकों में घूमेगी, फिर बप्पा की विदायी की जायेगी।
बैंड-बाजे के साथ गणपति बप्पा का हुआ आगमन
दूसरी ओर कमला नेहरू नगर स्थित 8वीं बटालियन एनडीआरएफ में बैंड-बाजे के साथ गणपति बप्पा का आगमन हुआ। मीडिया प्रभारी बसंत पावडे ने कहा कि जैसे ही गणपति बप्पा का आगमन हुआ, जवान गेट पर स्वागत करने पहुंचे। बैंड-बाजा, ढोल-ताशे के साथ देशभक्ति के गीत बजाकर बप्पा को मंदिर तक लाया गया। मूर्ति स्थापना के बाद आरती की गयी।