गांधी नगर मार्केट: एशिया के सबसे बड़े गारमेंट्स मार्केट में हैं कई समस्याएं, आग बुझाने के इंतजाम नाकाफी
गांधी नगर मार्केट में अतिक्रमण का बोलबाला है। आलम यह है कि दिन में यहां शायद ही ऐसा कोई समय होता होगा जब यहां जाम न लगता हो। जाम का यह हाल है कि वाहन चालक तो दूर कई बार तो पैदल राहगीर भी जाम में फंस जाते हैं।
नई दिल्ली, शुजाउद्दीन। गांधी नगर मार्केट को एशिया की सबसे बड़ी गारमेंट्स मार्केट कहा जाता है। जितना बड़ा नाम है, उससे ज्यादा यहां समस्याएं हैं। गांधी नगर बारूद के ढेर पर है, आग से निपटने के कोई इंतजाम मार्केट में नहीं है। मार्केट में कहने को दस हजार छोटी बड़ी दुकानें हैं, इसके अलावा छोटी फैक्ट्रियां भी यहां हैं। व्यापारियों की माने तो किसी के पास भी दमकल विभाग की एनओसी नहीं है, भगवान भरोसे सब व्यापार कर रहे हैं। आग लगने पर हर बार भयंकर नुकसान होता है, उसके बाद भी न तो व्यापारी ही और न ही सरकार कोई सबक लेती है।
जानकारों की मानें तो सन 1970 तक गांधी नगर रिहायशी इलाका होता था, उसके बाद यहां पर धीरे-धीरे कपड़ों की दुकानें खुलनी शुरू हुईं। सन 2000 के आते आते गांधी नगर ने बड़ी मार्केट का रूप ले लिया। रियाशी इलाका कब सरकार की बिना अनुमति के व्यावसायिक क्षेत्र बन गया पता ही नहीं चला। संकरी गलियों में दुकानों व फैक्ट्रियों की भरमार है।
गांधी नगर में आग की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। दमकल काे आग बुझाने में इस इलाके में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यहां तक पहुंचना ही उनके लिए बड़ी चुनाैती होती है।
12 नवंबर की रात को गांधी नगर के मुल्तानी मोहल्ले में लगी आग को बुझाने में दमकल को 16 घंटे की मेहनत करनी पड़ी। रोड चाैड़ा होने के कारण दमकल यहां तक पहुंचने में काफी मेहनत नहीं करनी पड़ी, आशंका व्यक्त की जा रही थी अगर यह आग किसी संकरी गली में लगी होती तो तबाही ज्यादा हो सकती थी। गांधी नगर के रामनगर मार्केट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि सरकार को गांधी नगर को पूरी तरह से व्यावसायिक घोषित कर देना चाहिए, तभी मार्केट का ठीक तरह से विकास हो सकेगा। दुकानदारों ने अपने स्तर पर आग से निपटने के इंतजाम किए हुए हैं।
अतिक्रमण से बेहाल है मार्केट
गांधी नगर मार्केट में अतिक्रमण का बोलबाला है। आलम यह है कि दिन में यहां शायद ही ऐसा कोई समय होता होगा, जब यहां जाम न लगता हो। जाम का यह हाल है कि वाहन चालक तो दूर कई बार तो पैदल राहगीर भी जाम में फंस जाते हैं, उन्हें निकलने तक की जगह नहीं मिल पाती। फुटपाथ से लेकर सड़कें तक अतिक्रमण की भेंट चढ़ी हुई है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम व अन्य विभाग कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर निकल लेते हैं, आम जन को हर रोज इस समस्या से दो चार होना पड़ता है। अतिक्रमण के कारण भी दमकल व पुलिस के वाहन मौके तक नहीं जा पाते हैं।
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