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नौकरी लगाने के नाम पर युवाओं से लाखों की ठगी, कृषि भवन में कराते थे फर्जी साक्षात्कार

पुलिस के अनुसार, गिरोह नौकरी लगवाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं से 22 लाख रुपये लेता था। वहीं, उनका साक्षात्कार कृषि भवन स्थित ओएनजीसी के कार्यालय में कराया जाता था।

By Edited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 08:42 AM (IST)
नौकरी लगाने के नाम पर युवाओं से लाखों की ठगी, कृषि भवन में कराते थे फर्जी साक्षात्कार
नौकरी लगाने के नाम पर युवाओं से लाखों की ठगी, कृषि भवन में कराते थे फर्जी साक्षात्कार

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) में सहायक इंजीनियर के पद पर नौकरी लगाने के नाम पर युवाओं से ठगी करने के आरोप में ग्रामीण विकास मंत्रालय के दो कर्मचारियों सहित कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है।

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बेरोजगार युवाओं से ठग लिए जाते थे 22 लाख रुपये
पुलिस के अनुसार, गिरोह नौकरी लगवाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं से 22 लाख रुपये लेता था। वहीं, उनका साक्षात्कार कृषि भवन स्थित ओएनजीसी के कार्यालय में कराया जाता था। गिरफ्तार आरोपियों के नाम जगदीश राज, संदीप कुमार, किशोर कुणाल, वसीम, अंकित गुप्ता, विशाल गोयल और सुमन सौरभ है। जगदीश राज और संदीप कुमार ग्रामीण विकास मंत्रालय में मल्टी टास्किंग स्टाफ के तौर पर कार्यरत हैं। हैदराबाद निवासी एक आरोपी की तलाश जारी है।

कई राज्यों से जुड़े तार 
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, गिरोह के तार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार से भी जुड़े हैं। अपराध शाखा के एडिशनल कमिश्नर राजीव रंजन ने बताया कि ओएनजीसी में सहायक इंजीनियर के पद पर नौकरी लगाने के नाम पर 22 लाख रुपये की ठगी के संबंध में वसंत कुंज नॉर्थ थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपराध शाखा के डीसीपी भीष्म सिंह की टीम ने जांच शुरू की।

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आधुनिक सर्विलांस तकनीक की मदद
पुलिस ने ठगों को दबोचने के लिए आधुनिक सर्विलांस तकनीक की मदद ली। पूर्व में आरोपियों के मोबाइल फोन से की गई ओला कैब की बुकिंग के आधार पर जांच आगे बढ़ाई गई। इसी बीच पुलिस को एक आरोपी द्वारा प्रयोग किए गए कंप्यूटर का आइपी (इंटरनेट प्रोटोकाल) एड्रेस हाथ लग गया। इसके बाद पुलिस ने लक्ष्मी नगर से गिरोह के मास्टरमाइंड किशोर कुणाल और अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से 27 मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, 10 चेकबुक, 45 सिम कार्ड सहित कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए।

वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच
पुलिस अधिकारी ने बताया कि रवि चंद्रा नाम का व्यक्ति हैदराबाद में कंसल्टेंसी फर्म चलाता है। वह ओएनजीसी में नौकरी पाने के इच्छुक युवाओं की खोज कर दिल्ली में रहने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड किशोर कुणाल के पास भेज देता था। कुणाल अभ्यर्थियों को बताता था कि उसका साला ओएनजीसी में कार्यरत है। वरिष्ठ अधिकारियों तक उसकी अच्छी पहुंच है।

तोड़ लेते थे संपर्क 
अभ्यर्थियों को अपने झांसे में लेने के लिए आरोपी ओएनजीसी की फर्जी ई-मेल बनाकर उनके पास ऑफर लेटर भेजते थे। इसके अलावा कृषि भवन स्थित ओएनजीसी के कार्यालय में अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया जाता था। ग्रामीण विकास मंत्रालय के कर्मचारी जगदीश राज और संदीप कुमार अधिकारी के रूप में साक्षात्कार के दौरान मौजूद रहते थे। बाद में फर्जी नियुक्ति पत्र भेज अभ्यर्थियों से लाखों रुपये लेकर आरोपी उनसे संपर्क खत्म कर देते थे।

निजी कंपनी का निदेशक है गिरोह का मुखिया
गिरोह का मुखिया किशोर कुणाल एक निजी कंपनी पी एंड एमजी का निदेशक है। वहीं, आरोपी विशाल गोयल को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में महारत हासिल है। पुलिस के अनुसार उसने बी-टेक की पढ़ाई की है। वही ओएनजीसी की फर्जी ई-मेल बनाकर अभ्यर्थियों को ई-मेल भेजता था, जबकि वसीम ने वेब डिजाइनिंग का कोर्स किया हुआ है और मेरठ स्थित एक निजी कंपनी में डिजाइनर है। वह गिरोह के लोगों का फर्जी पहचान पत्र बनाता था। सुमन सौरभ एक कंपनी में मार्केटिंग हेड हैं।


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