Move to Jagran APP

फेसबुक की मदद से 15 साल बाद मिला बिछड़ा बेटा, पढ़िये- मां-बेटा के मिलन की यह स्टोरी

बुधवार को मित्राजीत रमा को घर वापस ले जाने पहुंचे तो दोनों की आंखें नम हो गई। मित्राजीत बताते हैं कि जब उनके दोस्त उनसे पूछते थे कि उनकी मां कहां है तब वे कहते थे कि मां काम से दिल्ली गई हैं काम खत्म होते ही वह लौट आएंगी।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 03:00 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 03:00 PM (IST)
फेसबुक की मदद से 15 साल बाद मिला बिछड़ा बेटा, पढ़िये- मां-बेटा के मिलन की यह स्टोरी
गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर होप ने फेसबुक की मदद ली और बेटे को खोज निकाला।

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। विशाखापत्तनम में पति के साथ रह रहीं रमा ने 1998 में बेटे को जन्म दिया। बेटे मित्राजीत के कुछ बड़े होने पर रमा ने वकालत की पढ़ाई की और वहां अभ्यास भी शुरू किया। उनका सपना था कि वे सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करें। अपने सपने को पूरा करने के लिए वह पति दिलीप की मनाही के बावजूद 2005 में पति और सात वर्ष के बेटे को छोड़कर दिल्ली आ गई। यहां नौ वर्ष तक पटियाला हाउस कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अभ्यास किया और नाम कमाया। दूसरी ओर परिवार से दूरी ने उन्हें अंदर ही अंदर खोखला कर दिया और वह मानसिक तौर पर अस्वस्थ रहने लगीं। छह वर्ष इलाज के बाद रमा की मानसिक स्थिति में जब सुधार आया तो उन्होंने परिवार के पास लौटने की इच्छा जाहिर की। उनकी इस इच्छा को पूरी करने के लिए गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर होप ने फेसबुक की मदद ली और बेटे को खोज निकाला।

loksabha election banner

बुधवार को मित्राजीत रमा को घर वापस ले जाने पहुंचे तो दोनों की आंखें नम हो गई। यह दृश्य देख आसपास मौजूद हर कोई भावुक हो गया। मित्राजीत बताते हैं कि जब उनके दोस्त उनसे पूछते थे कि उनकी मां कहां है, तब वे कहते थे कि मां एक जरूरी काम से दिल्ली गई हैं काम खत्म होते ही वह लौट आएंगी। अब मां लौट रही हैं।

संस्था की अध्यक्ष यूनाइस स्टीफन खुश हैं कि इतने वर्ष के बाद भी परिवार रमा को अपनाने के लिए तैयार है। उनके प्रयास सफल रहे और एक मां को उसका परिवार, उसका बेटा मिल गया।

2013 में पता चला स्किजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं

2013 में रमा को पता चला कि उन्हें स्किजोफ्रेनिया है। बीमारी का इलाज कराने के लिए रमा 2013 में दिलशाद गार्डन स्थित इहबास गई। इलाज के बाद उन्हें 2015 में हरि नगर स्थित निर्मल छाया शॉर्ट स्टे होम में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद वे रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर होप के द्वारका स्थित केंद्र पर आ गई। यहां पांच साल के दौरान मेडिटेशन व काउंसलिंग की मदद से उनकी हालत बेहतर हुई और इस बीच उन्होंने परिवार के पास वापस लौटने की इच्छा जाहिर की।

बड़ी चुनौती था परिवार को तलाशना

बीमारी के बाद रमा को परिवार के बारे में ज्यादा याद नहीं था। एक दिन बात ही बात में रमा ने अपने बेटे का नाम मित्राजीत बताया। इसके बाद संस्था ने फेसबुक पर मित्राजीत नाम से बनीं प्रोफाइलों को तलाशना शुरू किया और इन नाम के सभी लोगों को रमा के बारे में संदेश भेजा। इसके बाद विशाखापत्तनम निवासी मित्राजीत ने संदेश का जवाब दिया और मां से मिलने आए।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.