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पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भ्रष्टाचार के मामले में निचली अदालत के आदेश को दी चुनौती

अदालत ने सीबीआइ को नोटिस जारी कर आठ फरवरी 2021 को होने वाली अगली सुनवाई तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने इसके साथ ही विशेष अदालत के चार फरवरी के आदेश के उस हिस्से पर रोक लगा दी है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 06:30 AM (IST)
पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भ्रष्टाचार के मामले में निचली अदालत के आदेश को दी चुनौती
नई दिल्ली स्थित दिल्ली हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट खारिज करने के निचली अदालत के फैसले को भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। मेनका गांधी की याचिका पर न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) से जवाब मांगा है। निचली अदालत ने मेनका व दो अन्य के खिलाफ दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।

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अदालत ने सीबीआइ को नोटिस जारी कर आठ फरवरी 2021 को होने वाली अगली सुनवाई तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने इसके साथ ही विशेष अदालत के चार फरवरी के आदेश के उस हिस्से पर रोक लगा दी है। जिसमें जांच एजेंसी को मेनका गांधी के खिलाफ अभियोजन के लिए मंजूरी देने वाले प्राधिकार के सामने दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया गया है।

सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने पीठ को बताया कि विशेष अदालत आगे की जांच करने का आदेश नहीं दे सकती है। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि विशेष अदालत ने आगे की जांच के लिए कोई मापदंड भी नहीं निर्धारित किए हैं। सीबीआइ के अधिवक्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट को सुझाव दिया कि विशेष अदालत की टिप्पणियों को रद किया जाए।

उन्होंने कहा कि एक दूसरा मौका है जब सीबीआइ ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है और मामले में सजा देने योग्य कोई सुबूत नहीं है। इसके बावजूद भी निचली अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और आगे की जांच करने का निर्देश दिया है। यह पूरा मामला वर्ष 2006 में भाजपा नेता और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार से जुड़ा है।

आरोप है कि उन्होंने फर्जी तरीके से एक ट्रस्ट को अनुदान के रूप में 50 लाख रुपये की मंजूरी दी थी। सीबीआइ की विशेष अदालत ने कहा था कि प्रथम ²ष्टया उसका मानना है कि यह एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक साजिश और आपराधिक कदाचार है।

अदालत ने जांच एजेंसी को मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिया था। सीबीआइ ने वर्ष 2008 में ही मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी और विशेष अदालत ने तब इसे खारिज करते हुए आगे की जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद दाखिल की गई दूसरी क्लोजर रिपोर्ट को फरवरी 2020 में विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था।

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