देश में पहली बार फंगल स्ट्रेन का फेफड़े में संक्रमण आया सामने, दो मरीजों की हुई मौत, एम्स के डाक्टर चिंतित, जानें अन्य डिटेल
देश में पहली बार इस फंगल स्ट्रेन का फेफड़े में संक्रमण होने की बात सामने आई है। यह स्ट्रेन दवा प्रतिरोधक है। इस वजह से इस पर दवा भी बेअसर साबित हुई। एम्स के डाक्टरों ने इसे इंडियन जर्नल आफ मेडिकल माइक्रोबायोलाजी में प्रकाशित किया है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोरोना के दौर में फंगस संक्रमण के मामले बढ़े हैं। इसी क्रम में एस्परजिलस फंगस के नए स्ट्रेन (एस्परजिलस लेंटुलस) के संक्रमण से दो मरीजों की मौत का मामला सामने आया है। देश में पहली बार इस फंगल स्ट्रेन का फेफड़े में संक्रमण होने की बात सामने आई है। यह स्ट्रेन दवा प्रतिरोधक है। इस वजह से इस पर दवा भी बेअसर साबित हुई। एम्स के डाक्टरों ने इसे इंडियन जर्नल आफ मेडिकल माइक्रोबायोलाजी में प्रकाशित किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार एक मरीज की उम्र करीब 50 व दूसरे मरीज की उम्र करीब 40 साल थी।
ये दोनों मरीज सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीडि़त थे। एक मरीज को संक्रमण होने पर निजी अस्पताल से स्थानांतरित कर एम्स में भर्ती कराया गया था। क्योंकि एंटीबायोटिक व एंटी फंगल दवाएं देने के बावजूद उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था। मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार मरीजों को एम्स में एम्फोटेरिसिन बी व वोरिकोनाजोल दवा दी गई। फिर भी मरीज के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ।
करीब एक माह बाद मरीज की मौत हो गई। दूसरे मरीज को बुखार, खांसी व सांस लेने में परेशानी होने पर एम्स की इमरजेंसी में लाया गया था। उसे भी जांच में फंगस संक्रमण होने की बात पता चली। इस वजह से इस मरीज को भी एम्फोटेरिसिन बी दवा दी गई लेकिन स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने के कारण एक सप्ताह बाद महत्वपूर्ण अंगों ने काम करना बंद कर दिया। इस वजह से उसकी मौत हो गई।
इस दोनों मामलों की केस स्टडी माइक्रोबायोलाजी विभाग के डा. जावेद अहमद, एसोसिएट प्रोफेसर डा. गगनदीप सिंह, पल्मोनरी के विभागाध्यक्ष डा. अनंत मोहन सहित आठ डाक्टरों की टीम ने मिलकर तैयार की है। एस्परजिलस फंगस का फेफड़े में संक्रमण के मामले पहले भी रिपोर्ट हुए हैं। वर्ष 2005 में इसके संक्रमण के पहले मामले आए थे। लेकिन एस्परजिलस लेंटुलस का फेफड़े में संक्रमण के मामले पहली बार आए हैं।