प्रतिशोध की आग ने फुटबॉल कोच को पहुंचा दिया जेल, पढ़ें क्राइम स्टोरी
दक्षिणी दिल्ली जिले के पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर के अनुसार आरोपित की पहचान पांडव नगर निवासी शेखर पाठक के रूप में हुई है। उससे चोरी के नौ मोबाइल बरामद हुए हैं।
नई दिल्ली [अरविंद द्विवेदी]। प्रतिशोध की आग ने एक फुटबॉल कोच को जेल पहुंचा दिया। दरअसल, एक सहकर्मी की शिकायत पर कोच को सात साल पहले नौकरी से निकाला गया था। उससे बदला लेने के लिए कोच ने पूरी फुटबॉल टीम के मोबाइल उड़ा लिए। पांच माह बाद आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। दक्षिणी दिल्ली जिले के पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर के अनुसार, आरोपित की पहचान पांडव नगर निवासी शेखर पाठक के रूप में हुई है। उससे चोरी के नौ मोबाइल बरामद हुए हैं।
ड्रेसिंग रूम में चोरी
डीसीपी अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि इस वर्ष 13 मार्च को पुलिस को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में मैच के दौरान ड्रेसिंग रूम से 12 मोबाइल व 10 हजार रुपये चोरी होने की शिकायत मिली थी। यहां दिल्ली फुटबॉल क्लब लीग चल रहा था। 13 मार्च को दिल्ली यूनाइटेड फुटबॉल क्लब की टीम ने अपने आवंटित ड्रेसिंग रूम में कपड़े बदले और केबिन में मोबाइल, पर्स आदि रखकर मैच खेलने चले गए। वापस आए तो देखा उनके मोबाइल व पर्स गायब थे। सूचना पाकर पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू की। टीम में पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा व दिल्ली के खिलाड़ी शामिल थे।
ऐसे पकड़ में आया आरोपित
लोधी कॉलोनी थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर सुनील ढाका के नेतृत्व में बनाई गई एसआई जितेंद्र, करण सिंह व कांस्टेबल विजय की टीम ने ड्रेसिंग रूम के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज जांची। सभी मोबाइलों को सर्विलांस पर लिया। अगस्त में एक मोबाइल ऑन मिला। पुलिस ने लोकेशन ट्रेस कर एक व्यक्ति से संपर्क किया तो उसने बताया कि यह फोन उसने शेखर पाठक से खरीदा था लेकिन वह फोन की ओरिजिनल रसीद नहीं दे पाया इसलिए उसने फोन वापस कर दिया। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने शेखर को गिरफ्तार नौ मोबाइल बरामद कर लिए।
बदले की आग ने सफल नहीं होने दिया
पटेल नगर स्थित पूसा इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद वह अशोका होटल और ओबेरॉय होटल में मैनेजर भी रह चुका है। उसने लायंस क्लब टीम से 2004 से 2010 तक डिस्ट्रिक्ट लेवल पर फुटबॉल खेला है। वर्ष- 2011 से उसने फुटबॉल कोच के तौर पर जेएलएन में ट्रेनिंग देना शुरू किया। वर्ष- 2013 में एक कोच ने उसकी समय पर न आने की शिकायत कर दी तो उसे काम से हटा दिया गया। तभी से उसने उस कोच से बदला लेने की ठान ली।
धधकती रही प्रतिशोध की आग
नौकरी से हटाए जाने के बाद उसने प्रीत विहार में अपनी फुटबॉल अकादमी शुरू की लेकिन उसके मन में प्रतिशोध की आग धधकती रही। इस कारण उसका काम में मन नहीं लगा और अकादमी बंद हो गई। फिर उसने मयूर विहार में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान खोल ली। यह दुकान भी नहीं चली। उसने सोचा कि अगर सभी खिलाड़ियों के फोन चुरा लिए जाएं तो उसकी शिकायत करने वाले कोच पर शक जाएगा और वह फंस जाएगा। इससे उसका बदला पूरा हो जाएगा, लेकिन हुआ इसका उल्टा।
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