होटल में दुष्कर्म फिर हो गया समझौता, युवक की याचिका पर जज साहब भी हैरान, उठाया सवाल
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि आरोपित पवन कुमार पर दुष्कर्म का आरोप है लेकिन दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के अलावा एफआइआर रद करने के संबंध में कोई दलील नहीं दी गई है। पीठ ने कहा दुष्कर्म का अपराध समाज के खिलाफ है।
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। दुष्कर्म की धारा में दर्ज एफआइआर को दोनों पक्षों में हुए समझौते के आधार पर रद करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि आरोपित पवन कुमार पर दुष्कर्म का आरोप है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के अलावा एफआइआर रद करने के संबंध में कोई दलील नहीं दी गई है। पीठ ने कहा दुष्कर्म का अपराध समाज के खिलाफ है और पीड़िता के समझौता करने के बावजूद एफआइआर रद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
2009 में नौकरी दिलाने के नाम पर बनाया था संबंध
उक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने आरोपित पवन की याचिका खारिज कर दी। याचिका के अनुसार पीड़िता ने 17 फरवरी 2020 को पहाड़गंज थाने में आरोपित पवन कुमार के खिलाफ दुष्कर्म की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। याचिका के अनुसार पीड़िता की एक बैंक में नौकरी थी और आरोपित उस बैंक में प्रबंधक था। पीड़िता का आरोप था कि मार्च 2009 में आरोपित पवन ने अमेरिका में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उसे पहाड़गंज स्थित ऑफिस बुलाया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की थी, लेकिन नौकरी की उम्मीद में पीड़िता ने इस बारे में किसी से नहीं बताया।
निवेश के नाम पर भी धोखा दिया
इसके बाद आरोपित ने पीड़िता और उसकी मां को बताया कि उसने एक कंपनी खोली है और अगर वे उसमें निवेश करें तो वह मुनाफा देगा। दोनों ने निवेश किया और वर्ष 2016-2017 तक मुनाफा देने के बाद आरोपित ने रुपये देना बंद कर दिया।
कार में गलत तरीके से छूने पर पहुंची थाने
आरोपित ने 25 फरवरी 2019 को पीड़िता को बुलाया और उसे अपनी कार में बैठाकर उसे आपत्तिजनक तरीके से छूने लगा। इस पर पीड़िता ने वहां से निकलकर उसके खिलाफ पहाड़गंज थाने में शिकायत कर दी। इसके बाद आरोपित ने शिकायत न करने की अपील करते हुए उसे दो लाख और 24 लाख रुपये के दो चेक दिए। हालांकि, दोनों ही चेक बाउंस हो गए। हालांकि, बाद में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया और पुलिस ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट भी अदालत में पेश की। हालांकि, दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध के मामले में हाई कोर्ट ने राहत देने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी।