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महिला कर्मचारी की मौत से कटघरे में एम्स प्रशासन, आप पर भी मंडरा रहा है खतरा

बीमारी की रोकथाम में नाकाम नगर निगम मामले को दबाने में जुटा। आंकड़ों में बाजीगरी कर कम दिखाए जा रहे मामले। सफदरजंग में 1900 संदेहास्पद मामले मिले।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 11:32 AM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 11:32 AM (IST)
महिला कर्मचारी की मौत से कटघरे में एम्स प्रशासन, आप पर भी मंडरा रहा है खतरा
महिला कर्मचारी की मौत से कटघरे में एम्स प्रशासन, आप पर भी मंडरा रहा है खतरा

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली स्थित देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में महिला कर्मचारी की मौत ने एम्स प्रशासन को कटघरे में खड़े कर दिया है। बावजूद एम्स प्रशासन अपनी महिला कर्मचारी की मौत पर चुप्पी साधे हुए है। उससे भी बड़ी बात ये है कि महिला कर्मचारी की मौत जिस वजह से हुई है, वो खतरा अब सभी दिल्ली वासियों पर भी मंडराने लगा है। बताया जा रहा है कि एम्स के अन्य कर्मचारियों समेत दिल्ली की जनता में भी इस प्रकोप का असर दिखने लगा है।

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पिछले वर्षो में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया व वायरल बुखार से लगता है सरकारों ने कोई सबक नहीं लिया है। तभी तो इस साल भी राजधानी के लोग इन दिनों तमाम तरह के बुखारों की चपेट में आ गए हैं। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की भारी भीड़ पहुंच रही है। इस बीच डेंगू से एम्स की एक महिला कर्मचारी की मौत हो गई। यह इस साल दिल्ली में डेंगू से पहली मौत बताई जा रही है। हालांकि एम्स प्रशासन ने इस पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रखा है।

एम्स के सूत्रों के अनुसार, महिला कर्मचारी सहायक (अटेंडेंट) के पद पर कार्यरत थी। उसके पति के निधन के बाद एम्स में अनुकंपा पर उसे नौकरी मिली थी। वह एम्स के आवासीय परिसर एबी नगर में रहती थी। सूत्र बताते हैं कि वह कई दिनों से डेंगू से पीड़ित थी और करीब सात दिन एम्स में भर्ती रही थी। बीते 14 अगस्त को उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि एबी नगर में कई अन्य लोग भी डेंगू से पीड़ित हैं। इससे स्पष्ट है कि एम्स के आवासीय परिसरों में डेंगू के मच्छरों का प्रकोप है। कर्मचारियों का कहना है कि इस साल डेंगू की रोकथाम के लिए दवाओं का छिड़काव नहीं किया जा रहा है। इस बाबत एम्स प्रशासन से संपर्क करने पर कोई जवाब नहीं मिला।

डेंगू व चिकनगुनिया पर निगम के आंकड़े संदेहास्पद

डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया की रोकथाम की जिम्मेदारी नगर निगम के कंधों पर है। मच्छरों की उत्पत्ति और इन बीमारियों की रोकथाम में नाकाम नगर निगम भी मामले को दबाने में जुटा हुआ है। अस्पतालों के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं।

नगर निगम के अनुसार, दिल्ली में इस साल नौ अगस्त तक मलेरिया के 128, डेंगू के 130 व चिकनगुनिया के 87 मामले सामने आए हैं। इनमें से डेंगू के 64 मामले व चिकनगुनिया के 41 मामले ही दिल्ली के हैं। निगम के दावों के विपरीत अकेले सफदरजंग अस्पताल में ही डेंगू के 122 मामले सामने आ चुके हैं। सफदरजंग अस्पताल में 1900 से ज्यादा डेंगू के संदेहास्पद मामले देखे गए हैं। इनमें से 122 मरीजों के डेंगू से पीड़ित होने की पुष्टि हुई है।

अन्य मरीज वायरल बुखार से पीड़ित थे, जिनमें डेंगू जैसे लक्षण थे। वहीं दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में जुलाई तक ही डेंगू के संभावित 502 व चिकनगुनिया के संभावित 489 मामले आ चुके थे। इसमें से 37 मरीजों में डेंगू व 62 मरीजों में चिकनगुनिया की पुष्टि हुई थी। इस तरह इन अस्पतालों को मिलाकर ही डेंगू के 159 मामले अब तक सामने आ चुके हैं।

यहां केंद्र, दिल्ली सरकार व नगर निगम के सरकारी अस्पतालों व निजी अस्पतालों का बड़ा नेटवर्क मौजूद है। उन सभी अस्पतालों में डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया के इलाज की सुविधा है। इसलिए उन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या नगर निगम द्वारा बताए जा रहे आंकड़ों से कहीं ज्यादा है।


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