दिव्यांगता को समर्पित कुशल दासगुप्ता की शॉर्ट फिल्म ‘इनक्रेडिबल इनसाइट’
कुशल दासगुप्ता ने इससे पहले ‘अ फाइव रूपीज स्माइल’ नाम से शॉर्ट फीचर फिल्म बनाई थी जिसका चयन दो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी हुआ था। इनकी मानें तो हमारी जिंदगी में एक ऐसा क्षण आता है जब हम खुद को और जीवन के उद्देश्य को पहचान पाते हैं।
नई दिल्ली, अंशु सिंह। दोस्तो, दिव्यांगों के लिए सार्वजनिक स्थलों पर आना-जाना आज भी उतना सरल नहीं है। हर जगह रैम्प की व्यवस्था न होने से उनका आना-जाना सीमित हो जाता है और वे घर के अंदर रहने को मजबूर हो जाते हैं। हर परिवार अपने स्पेशल चाइल्ड के टैलेंट को निखारने में समर्थ नहीं होता और न ही उनकी शिक्षा सही से हो पाती है। लेकिन व्हीलचेयर वॉरियर डॉ. साई कौस्तुभ दासगुप्ता दुनिया के सामने किसी मिसाल से कम नहीं, जो मानते हैं कि नामुमकिन कुछ भी नहीं।
ऐसे में आंध्र प्रदेश के युवा फिल्मकार डॉ. कुशल दासगुप्ता ने साई कौस्तुभ की प्रेरक कहानी एवं सफर को एक लघु फिल्म ‘इनक्रेडिबल इनसाइट’ के रूप में पेश किया है। इस फिल्म में इंक्लूजन, दिव्यांगों के अधिकारों एवं उनके समुदाय को लेकर अहम बिंदुओं को दर्शाया गया है। ब्रिटेन स्थित लिफ्ट ऑफ ग्लोबल नेटवर्क 2020 द्वारा इस फिल्म का आधिकारिक रूप से चयन किया गया है। इसके अलावा, पुर्तगाल के लिस्बन फिल्म रेंजेडेवस 2020 के लिए भी इसका चयन किया गया है।
फिल्म के बारे में कुशल बताते हैं, ‘समाज में जो कुछ घट रहा होता है, उसे सबके सामने लाने का एक प्रमुख एवं सशक्त माध्यम है शॉर्ट फिल्म। इससे न सिर्फ लोगों का मनोरंजन होता है, बल्कि जागरूकता भी आती है। जैसे दिव्यांगता एक प्रमुख मुद्दा है, जिसके बारे में देश के अधिकतर लोगों को आज भी सही एवं पूरी जानकारी नहीं है।’
कुशल की कोशिश है कि इस फिल्म के जरिये समाज को दुर्लभ ब्रिटल बोन डिजीज (ऑस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा) के बारे में बताया जाए और कैसे इस बीमारी से 90 प्रतशित तक दिव्यांग होने के बावजूद एक युवा सिर्फ अपनी इच्छाशक्ति एवं सकारात्मकता से वैश्विक आइकन बना। डॉ. साई कौस्तुभ इस बीमारी से ग्रसित होने के कारण अपने इलेक्ट्रिक व्हील चेयर से बंधे हुए हैं। लेकिन उन्होंने बाएं हाथ की सिर्फ एक अंगुली की मदद से इंटरनेशनल ग्राफिक डिजाइनिगं एवं वर्चुअल टाइपिंग सीखी है। कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने वाले साई ने दुनिया के लाखों लोगों को अपने मोटिवेशनल टॉक से प्रेरित किया है।
जहां तक कुशल की बात है, तो वे खुद गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं। इस फिल्म निर्माण के दौरान उन्होंने तमाम विभाग खुद संभाले। वह बताते हैं, ‘आज दिव्यांगों पर कई फिल्में बन रही हैं। लेकिन एक सच्ची कहानी पर फिल्म बनाना और खुद ही उसे शूट करने की अपनी चुनौतियां रहीं। फिल्म बनाने के दौरान यह एहसास हुआ कि कैसे एक दिव्यांग व्यक्ति को रोजाना के कार्यकलापों से संघर्ष करना पड़ता है।’ इस फिल्म का रेड कारपेट आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में आयोजित किया गया था।
कनाडा में सीपीसी टीवी पर 27 सितंबर को इसका वर्ल्ड प्रीमियर हुआ था। इसके बाद, दक्षिण भारतीय अभिनेत्री एवं टीवी स्टार श्वेता आर. प्रसाद ने इसे यूट्यूब पर लॉन्च किया। अंग्रेजी के अलावा अब इसे हिंदी में लाने की तैयारी भी है। फिल्मकार डॉ. कुशल दासगुप्ता इनकी मानें, तो हमारी जिंदगी में एक ऐसा क्षण आता है, जब हम खुद को और जीवन के उद्देश्य को पहचान पाते हैं। जिस दिन वह जवाब मिल जाता है, हमें कोई नहीं रोक पाता।
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