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कोरोना के कारण पिता-पुत्र को कब्रिस्तान में नहीं मिली जगह, शवदाह के बाद अर्थियां दफनाईं

सरकार ने मंगोलपुरी में स्थित ईसाई कब्रिस्तान काे कोरोना संक्रमितों के लिए सुरक्षित रखा हुआ है। मां पिता और छोटा भाई मरने के बाद भी एक जगह रह सके इसके लिए उन्होंने फैसला लिया कि वह भाई और पिता का शवदाह करेंगे।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 07:10 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 08:50 AM (IST)
कोरोना के कारण पिता-पुत्र को कब्रिस्तान में नहीं मिली जगह, शवदाह के बाद अर्थियां दफनाईं
अंतिम संस्कार के दौरान उनके नाते रिश्तेदारों ने बाइबिल भी पढ़ी।

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। कोरोना ने इंसान के जीवन के तौर तरीकों के साथ ही उसके मजहबी तरीके को भी बदल दिया है। कोरोना से जान गंवाने वाले दिलशाद गार्डन के एक ईसाई परिवार के पिता-पुत्र को कब्रिस्तान में जगह नहीं मिली तो हिंदू रीति रिवाज से सीमापुरी के शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया। हालांकि, अंतिम संस्कार के दौरान उनके नाते रिश्तेदारों ने बाइबिल भी पढ़ी।

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दरअसल द्वारका निवासी सचिन चेरियन की इच्छा थी कि मरने के बाद भी उनका परिवार के सभी सदस्यों को एक ही कब्रिस्तान में दफनाया जाए। कोरोना के चलते यह संभव नहीं था। इसलिए उन्होंने दस वर्ष पहले मृत हुई मां की कब्र को खुलवाया और उसमें अपने पिता और भाई की अस्थियाें को दफनाया।

सचिन के पिता टीएस चेरियन अपने छोटे बेटे नितिन चेरियन के साथ दिलशाद गार्डन के क्यू पाकेट में रहते थे। नितिन चेरियन दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में नर्सिंग अर्दली थे। दोनों राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती थे, शनिवार को कोरोना से दोनों की मौत हो गई थी। दस वर्ष पहले उनकी माता की मौत हो गई थी, जिन्हें कश्मीरी गेट के ईसाई कब्रिस्तान में दफनाया गया था। उनकी इच्छा थी कि परिवार के सभी लोगों को एक कब्रिस्तान में दफनाया जाए, लेकिन उस कब्रिस्तान में कोरोना संक्रमितों को दफनाने की व्यवस्था नहीं थी।

सरकार ने मंगोलपुरी में स्थित ईसाई कब्रिस्तान काे कोरोना संक्रमितों के लिए सुरक्षित रखा हुआ है। मां, पिता और छोटा भाई मरने के बाद भी एक जगह रह सके, इसके लिए उन्होंने फैसला लिया कि वह भाई और पिता का शवदाह करेंगे। शहीद भगत सिंह सेवा दल की मदद से सीमापुरी स्थित शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद उनकी अस्थियों को सचिन कश्मीरी गेट कब्रिस्तान लेकर गए और अपनी मां की कब्र को खुलवाया। उसी में दोनों अस्थियाें को दफना दिया।

सरकार से लगाई मदद की गुहार

सचिन ने कहा कि उनके भाई नर्सिंग अर्दली थे, जो कि कोरोना योद्धा की श्रेणी में आते हैं। नितिन के परिवार में पत्नी व दो छोटे बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को नितिन के परिवार की हर तरह से मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नितिन ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित हुए हैं। उन्हें योद्धा के तहत आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए।


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