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Farmer Protest: दिल्ली में प्रदर्शनकारियों को कोस रहे किसान, मजदूर और राहगीर, जानें वजह

हालात खराब होते देख अब राहगीर भी प्रदर्शनकारियों को कोसने लगे हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में जब किसी भी प्रदर्शन की अनुमति नहीं है तो उनको यहां से उठ जाना चाहिए। स्थानीय लोगों को भी दस किलोमीटर तक रोज पैदल चलना पड़ रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 09:37 AM (IST)
Farmer Protest: दिल्ली में प्रदर्शनकारियों को कोस रहे किसान, मजदूर और राहगीर, जानें वजह
प्रदर्शनकारी गरीबों, मजदूरों व किसानों को हक दिलाने का बहाना बनाकर सिंघु बार्डर घेरे बैठे हैं।

नई दिल्ली [सोनू राणा]। जिनका नाम लेकर प्रदर्शनकारी चार महीने से सिंघु बार्डर पर कब्जा करके बैठे हैं, उनको ही रास्ते बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। अब वे प्रदर्शनकारियों को कोसने लगे हैं। आने वाले दिनों में उनके सामने भूखे मरने तक की नौबत आ सकती है। कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारी गरीबों, मजदूरों व किसानों को हक दिलाने का बहाना बनाकर सिंघु बार्डर घेरे बैठे हैं।

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रोड बंद होने की वजह से हर रोज कमाकर खाने वाले अधिकतर गरीब लोग तो यहां से जा चुके हैं, जो बचे हैं वह भी यूपी, बिहार अपने घर जाने की योजना बना रहे हैं। बवाना व नरेला स्थित फैक्टि्रयों में काम करने वाले मजदूर भी फैक्टि्रयां बंद होने से बेरोजगार हो गए हैं। दुकानदारों का धंधा चौपट हो गया है, इनके पास काम करने वाले कामगार भी अब दूसरी जगह काम तलाशने लगे हैं।

स्थानीय लोगों को भी दस किलोमीटर तक रोज पैदल चलना पड़ रहा है। किसानों की फसल खेतों में ही खराब हो गई है। आसपास के स्कूलों की छात्राओं को भी इनके बीच से निकल कर स्कूल जाना पड़ रहा है। हालात खराब होते देख अब राहगीर भी प्रदर्शनकारियों को कोसने लगे हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में जब किसी भी प्रदर्शन की अनुमति नहीं है तो उनको यहां से उठ जाना चाहिए।

राहगीर मुकेश कुमार ने कहा कि हम सोनीपत के बीसवां मील से आ रहे हैं और आनंद विहार जाना है। इतने पैसे तो हैं नहीं कि आटो का किराया दे सकें, इसलिए पैदल ही सामान उठाकर चलना पड़ रहा है। इतनी गर्मी में सिर पर सामान रखकर केवल इन प्रदर्शनकारियों की वजह से ही चलना पड़ रहा है।

कामगार प्रभूदयाल ने कहा कि मैं सिंघु बार्डर पर ही एक दुकान पर काम करता हूं। चार महीने से काम बंद है। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि दूसरी जगह काम ढूंढ़ना पड़ेगा। मालिक भी कब तक बैठे-बैठे पैसे देगा। इनको यहां से उठ जाना चाहिए।

लंबू भाई, राहगीर का कहना है कि उन्हें सोनीपत से दिल्ली जाना है। पहले बस से चला जाता था। अब वाहन बदलने पड़ते हैं और पैदल भी चलना पड़ता है। इससे परेशानी हो रही है। लोगों को परेशान कर इन प्रदर्शनकारियों का आंदोलन कभी सफल नहीं होगा।


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