Farmer Protest: क्या किसान संगठनों को लगने वाला है तगड़ा झटका, सिंघु बॉर्डर से कम होने लगे किसान
Farmer Protest in delhi सिंघु बॉर्डर पर अब हालात ऐसे हो गए हैं कि प्रदर्शनकारियों के लिए हाल ही में लगाया गया बड़ा टेंट लोगों की संख्या कम होने की वजह से खाली पड़ा है। सैकड़ों लोग जिसमें आराम से रह सकते हैं वहां आठ-दस लोग ही बैठे हुए हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर धरने पर बैठे किसान संगठनों का प्रदर्शन लगातार जारी है।सिंघु बॉर्डर पर अब हालात ऐसे हो गए हैं कि प्रदर्शनकारियों के लिए हाल ही में लगाया गया बड़ा टेंट लोगों की संख्या कम होने की वजह से खाली पड़ा है। सैकड़ों लोग जिसमें आराम से रह सकते हैं वहां आठ-दस लोग ही बैठे हुए हैं। टेंट में कार व ट्रैक्टर खड़े कर जगह भरने की कोशिश की जा रही है।
उधर सिंघु बार्डर-नरेला रोड पर खड़े कुछ ट्रैक्टर ट्राली वापस घर लौटने को तैयार हैं। दिल्ली में गेहूं की फसल कटनी शुरू हो गई है। पंजाब में भी कुछ दिनों में फसल पकने लगेगी। सिंघु बार्डर पर बैठे प्रदर्शनकारियों में जिसे वास्तव में अपने खेतों की चिंता होगी, वह जरूर अपनी फसल की कटाई करने जाएंगे। ऐसे में आने वाले दिनों में इनकी संख्या और भी घट सकती है। इन दिनों में खेतों में ट्रैक्टर की जरूरत पड़ती है। इसलिए कहा जा रहा है कि ट्रैक्टर भी इस दौरान वापस पंजाब जा सकते हैं।
सिंघु बार्डर पर मनाई गई होली
कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों ने नव वर्ष भी सिंघु बार्डर पर ही मनाया था और अब होली भी यहीं पर मनाई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक दूसरे को रंग भी लगाया।
पांच से दस किलोमीटर चलने को मजबूर हैं लोग
सिंघु बार्डर पर चार महीने से चल रहे धरने की वजह से आवागमन बाधित है। सिंघु गांव समेत आसपास के गांवों के लोगों समेत नरेला, बवाना व कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में काम करने के लिए जाने वाले कामगारों व उद्यमियों को दिक्कतें हो रही हैं। उनको हर रोज पांच से दस किलोमीटर तक चलना पड़ रहा है।
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दरअसल इन औद्योगिक क्षेत्रों की कंपनियों में काम करने वाले कामगार कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों की मार सबसे ज्यादा झेल रहे हैं। उनको हर रोज इनके बीच से ही होकर गुजरना पड़ रहा है। किसी कामगार का घर दिल्ली में है तो वह काम हरियाणा की फैक्ट्री में कर रहा है और किसी का घर हरियाणा में है तो वह नौकरी करने दिल्ली आ रहा है। ऐसे में उनको रोज 5- 10 किलोमीटर दूर तक पैदल चलकर नौकरी पर पहुंचना पड़ रहा है। कामगारों ने प्रशासन से मांग की है कि वह रास्ते को खाली करवाएं ताकि उनको थोड़ी राहत मिले।
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