किसान नेता राकेश टिकैत ने अब कहा कि दिल्ली की कलम कमजोर है, जानिए क्या है इसके मायने?
यूपी गेट पर राकेश टिकैत के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए बकायादा फतेह मार्च निकाला गया। हवन पूजन किया गया ढोल नगाड़े बजाए गए अतिशबाजी की गई दर्जनों गाड़ियों के काफिले के साथ सिसौली तक यात्रा निकाली गई। इसका जगह-जगह स्वागत किया गया।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब यहां से अपने घर वापस जा चुके हैं। किसानों के बार्डर खाली करने के बाद अब प्रशासन यहां पर ट्रैफिक व्यवस्था को चालू करने के लिए काम कर रहा है। जिससे इन जगहों के हालात पहले जैसे हो सकें और लोगों की रोजी रोटी फिर से चालू हो सके। अन्य सीमाओं से तो लोग सामान्य तरीके से अपना टेंट उखाड़कर सामान्य तरीके से अपने घरों की ओर रवाना हो गए थे।
यूपी गेट पर राकेश टिकैत के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए बकायादा फतेह मार्च निकाला गया। हवन पूजन किया गया, ढोल नगाड़े बजाए गए, अतिशबाजी की गई, दर्जनों गाड़ियों के काफिले के साथ सिसौली तक यात्रा निकाली गई। इसका जगह-जगह स्वागत किया गया। अपने स्वागत और इस फतेह मार्च का राकेश टिकैत के इंटरनेट मीडिया एकाउंट ट्विटर पर हर वीडियो पोस्ट किया गया।
किसान का कृषि यंत्र हल भी ठीक है। किसान खेती भी ठीक करता है।उसके द्वारा द्वारा पैदा की जाने वाली फसल भी अच्छी होती है लेकिन किसान कर्ज़दार है।इसका मतलब दिल्ली की कलम कमजोर है ,जो किसान के साथ न्याय नही करती#MSP_की_जंग_जारी_है @ANI @PTI_News @AFP— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) December 16, 2021
राजनगर, दुहाई, मोदीनगर, मुजफ्फरनगर सहित अन्य जगहों पर स्वागत और सम्मान किया गया। शाम को टिकैत ने यहां एक सभा को संबोधित किया। इसमें उन्होंने कहा कि अभी एमएसपी पर कानून बचा हुआ है, सरकार ने वायदा किया है कि वो इस पर कानून बनाएगी, देखना है ये कब होता है। यदि नहीं हुआ तो दिल्ली हमारे लिए दूर नहीं है।
इस बीच राकेश टिकैत ने अपने ट्विटर एकाउंट से फिर दो लाइनें ट्वीट की, जिसके अलग मायने निकाले जा रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया है कि किसान का कृषि यंत्र हल भी ठीक है। किसान खेती भी ठीक करता है। उसके द्वारा द्वारा पैदा की जाने वाली फसल भी अच्छी होती है लेकिन किसान कर्ज़दार है। इसका मतलब दिल्ली की कलम कमजोर है, जो किसान के साथ न्याय नहीं करती।
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उनके इस ट्वीट को हजारों लोग रिट्वीट कर चुके है। अपने पैतृक गांव पहुंचने के बाद अब उनका कहना है कि दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार किसानों के साथ न्याय नहीं करती है जबकि सरकार ने किसानों की मांग को मानते हुए ही तीनों कृषि कानून खत्म कर दिए हैं और बाकी अन्य मांगें भी मान ली है। इस बारे में लिखित समझौता भी हो चुका है।
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