Farm Laws 2020: किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान करने वाले नए कृषि कानून पर अनर्गल प्रलाप
Farm Laws 2020 तीन नए कृषि कानून बनाने की मुख्य वजह देश में खेती-किसानी और उसके उत्पादों के विक्रय का ढांचा बदलने के संदर्भ में है ताकि किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान की जा सके फिर कृषि कानूनों पर अनर्गल प्रलाप क्यों।
गौरव कुमार। Farm Laws 2020 देश में कृषि कानून के विरोध में जारी किसान आंदोलन के दौरान कई ऐसी घटनाएं घटीं, जिसने आंदोलन के कई पहलुओं को उजागर किया। किसी भी लोकतांत्रिक देश में विरोध का एक स्वरूप होता है और विरोध के बदले में बाकी लोगों की भावनाओं का अपमान किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जाएगा। इस बीच एक बड़ी साजिश का भी खुलासा हुआ, जिसके तहत इस प्रायोजित किसान आंदोलन के लिए विदेशी दबाव कायम करने की कोशिश की गई है।
संसद से पारित इस बिल के बारे में विरोध उचित हो सकता है, लेकिन विदेशी नागरिकों से इसके लिए मदद लेना क्या राष्ट्रीय हित या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उचित कहा जा सकता है? गौरतलब है कि दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन को कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने अपना समर्थन दिया है। अनेक चर्चित हस्तियों ने इस आंदोलन को अपना समर्थन जताया है। इसमें कई ऐसे घटनाक्रम सामने आए हैं जो राष्ट्रहित में नहीं हैं।
इस घटना ने कई प्रश्न खड़े किए हैं जिससे देश के लोकतंत्र, संप्रभुता और सुरक्षा के विषय जुड़े हैं। एक प्रायोजित आंदोलन की आड़ में देश और सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। आज जो भी लोग इस किसान आंदोलन के समर्थन में हैं, उन्हें बहुत सारे विषय पर या तो जानकारी नहीं है या उसे किसान हित के रूप में जोड़ कर देख नहीं पा रहे हैं। विरोध करने वालों ने इस कानून के प्रविधानों को न पढ़ा है और न समझा है। उल्लेखनीय है कि जो तीन कानून लाए गए हैं, वह कृषि क्षेत्र की तीन मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से लाए गए हैं। पहला कानून कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून 2020 है जो किसानों के उपज को बाजार दिलाने से संबंधित है।
दूसरा कानून कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 है जो अनुबंध खेती और मार्केटिंग से संबंधित है। किसान यदि अनुबंध खेती करना चाहे तो वह स्वतंत्र है या उपज की मार्केटिंग के लिए भी स्वतंत्र है। इसका भी सीधा लाभ किसान को मिलेगा और इससे उद्यमशीलता को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत किसानों को कृषि कारोबार करने वाली कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों व संगठित खुदरा विक्रेताओं से सीधे जोड़ना है।
तीसरा कानून आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020 है। इसके तहत अनाज, दाल, खाद्य तिलहन, प्याज, आलू जैसे उपज के भंडारण और उनके विपणन को नियंत्रण मुक्त किया गया है। इसका सीधा लाभ यह होगा कि कोल्ड स्टोर व खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निवेश बढ़ेगा, क्योंकि वे अपनी क्षमता के अनुरूप उत्पादों का भंडारण कर सकेंगे। इससे किसानों की फसल बर्बाद नहीं होगी। फसलों को लेकर किसानों की अनिश्चितता खत्म हो जाएगी। व्यापारी आलू व प्याज जैसी फसलों की भी ज्यादा खरीद करके उनका कोल्ड स्टोर में भंडारण कर सकेंगे। अर्थशास्त्र के सामान्य जानकार भी इन प्रविधानों को लेकर आश्वस्त है कि इससे देश की कृषि अर्थव्यवस्था में व्यापक स्तर पर अधिकतम लाभ मिलने की संभावना है।
किसानों को यह कह कर भ्रमित किया जा रहा है कि सरकार एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त कर रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि कानून में इसका कही जिक्र नहीं है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म किया जाएगा। सरकार तो इसके लिए प्रयास कर रही है कि किसानों को उनके उपज की अच्छी कीमत मिले। सरकार बाजार में प्रतिस्पर्धा स्थापित कर रही है, ताकि किसानों को मंडियों पर ही केवल निर्भर न होना पड़े। दूसरी तरफ देखें तो देश के 94 फीसद किसान एमएसपी पर फसल ही नहीं बेच पाते।
एमएसपी से बाहर निकल कर देखें तो आज भारत के विभिन्न हिस्सों में किसान उत्पाद संगठनों के माध्यम से खेती करने वाले किसान ज्यादा लाभकारी स्थिति में हैं और बिचौलियों को हटा कर खुद ही अपनी उपज का बेहतरीन कीमत भी प्राप्त कर रहे हैं। एमएसपी किसानों को एक सुरक्षा अवश्य प्रदान करती है, लेकिन यदि इससे बेहतर विकल्प उपलब्ध हो जाए तो लाभ किसानों का ही होगा। इसमें सरकार की किसान विरोधी मंशा नहीं हो सकती। सरकार तो एमएसपी हटा भी नहीं रही है जिसे झूठा प्रचारित किया जा रहा है। सरकार कृषि मंडियों को भी खत्म नहीं करने जा रही है जिसके बारे में अफवाह फैलाई जा रही है।
हमारे देश के लगभग 85 प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन है। कम जमीन पर जो वे फसल उगाते हैं उसकी भी सही कीमत उनको नहीं मिल पाती। ऐसे में उनके पास सरकार के इस नए कानून का विकल्प है जिसका लाभ प्रत्यक्ष रूप से उन्हें मिलेगा। ऐसे किसान अगर एक संगठन बनाकर यही काम करते हैं तो उनका खर्च कम होने के साथ सही कीमत भी सुनिश्चित होती है। बाहर से आए खरीदार इन संगठनों से समझौता करके सीधे उनकी उपज खरीद सकते हैं। किसानों के हितों के लिए ही यह कानून बनाया गया है। हमारे प्रधानमंत्री का सपना आत्मनिर्भर भारत है और सबसे अहम है कि किसान आत्मनिर्भर हों, और इसकी परिपक्वता तब दिखेगी, जब भारत के किसानों की उपज अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एकाधिकार प्राप्त करेगी।
[लोक नीति विश्लेषक]