मृतक का शव नहीं सौंपने पर परिजनों ने किया हंगामा, अस्पताल पर लगाया ये आरोप
अस्पताल में महिला की मौत के मामले में मृतक के शव को न दिए जाने को लेकर परिजनों ने नीलम बाटा रोड पर जाम लगा दिया।
फरीदाबाद, जेएनएन। एस्कॉर्ट्स फोर्टिस अस्पताल में महिला की मौत के मामले में मृतक के शव को न दिए जाने को लेकर परिजनों ने नीलम बाटा रोड पर जाम लगा दिया। परिजनों ने इस बात के लिए रोष जताया कि जब महिला की मौत हो गई है तो पोस्टमार्टम के नाम पर अस्पताल में शव रख कर परिजनों को क्यों परेशान किया जा रहा है।
मामले की जानकारी मिलते ही पूर्व विधायक चंद्र भाटिया और पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। दरअसल एनआइटी पर्वतीय कॉलोनी, 60 फुट रोड निवासी शाहिद की पत्नी आमरीन को बुधवार रात गंभीर अवस्था में एस्कॉर्ट्स फोर्टिस अस्पताल लाया गया था।
परिजनों के अनुसार डॉक्टरों ने मामले की जांच के बाद ही तुरंत बता दिया था कि इनकी मौत हो चुकी है, इस पर जब परिजन शव वापस ले जाने लगे तो अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि लड़की के मायके वालों को भी बुलवा लो और शव सुबह ले जाना।
बृहस्पतिवार दिन में जब लड़की के परिजन भी आ गए और ससुराल वालों के साथ मिल कर शव सौंपने की मांग करने लगे, तो अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से इंकार कर दिया और कहा कि पोस्टमार्टम होगा। ससुराल और मायके पक्ष के लोगों का कहना है कि जब लड़की की मौत पर उन्हें कोई संदेह नहीं है, तो पोस्टमार्टम किस बात का। बस इसी बात को लेकर देर तक हंगामा होता रहा। बात एसडीएम तक पहुंची। बाद में परिजन पोस्टमार्टम के लिए राजी हो गए। शाम को बीके अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया।
सुप्रीम कोर्ट के हैं दिशा निर्देश
एस्कॉर्ट्स फोर्टिस अस्पताल की प्रशासनिक अधिकारी शानू शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा- निर्देशानुसार अगर 40 साल से कम उम्र के किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो उन परिस्थितियों में अस्पताल प्रबंधन का यह दायित्व बनता है कि संबंधित थाना की पुलिस को सूचित करे, ताकि पोस्टमार्टम होने के बाद ही शव सौंपा जा सके। अगर पोस्टमार्टम नहीं कराना चाहते तो संबंधित क्षेत्र के एसडीएम इस बारे में अनुमति प्रदान कर सकते हैं। अस्पताल प्रबंधन की इसमें कोई भूमिका नहीं है।