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खुद बेरोजगार मगर जॉब देने के नाम ठगी से हर माह की कमाई 12 लाख, पढ़िए क्राइम की स्‍टोरी

पढ़िए ठगी की कहानी बेरोजगारी के कारण दोस्‍तों ने लोगों को जॉब के नाम पर ठगने का आइडिया प्‍लान किया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 08:18 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 08:18 PM (IST)
खुद बेरोजगार मगर जॉब देने के नाम ठगी से हर माह की कमाई 12 लाख, पढ़िए क्राइम की स्‍टोरी
खुद बेरोजगार मगर जॉब देने के नाम ठगी से हर माह की कमाई 12 लाख, पढ़िए क्राइम की स्‍टोरी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों को ठगने वाले दो सगे भाइयों को दक्षिणी-पूर्वी जिले की साइबर सेल ने द्वारका से गिरफ्तार किया। मौके से तीन कंप्यूटर व पांच मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। आरोपित नौकरी डॉट कॉम व इसके जैसी अन्य साइट्स से बेरोजगारों को डाटा जुटाकर नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे ठगी करते थे। डीसीपी दक्षिणी-पूर्वी चिन्मय बिश्वाल ने बताया कि शिकंजे में आए जालसाज भाई सत्यम कुमार व कुमार शिवम निवासी सीतामढ़ी, बिहार हैं। सत्यम कुमार ने बीसीए और कुमार शिवम ने एमबीए किया हुआ है। इस समय दोनों द्वारका स्थित फ्लैट में रहते थे। आरोपितों ने गत जुलाई में भारतीय वायु सेना से रिटायर जूनियर वारंट अफसर के साथ 1.42 लाख की ठगी की थी।

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काफी समय तक नहीं मिली नौकरी तब हुआ ठगी का अहसास

रिटायर्ड जूनियर वारंट अफसर वकील अहमद से 13 जुलाई को नौकरी डॉट कॉम पर जॉब के लिए अपना प्रोफाइल डाला। इसके बाद 15 जुलाई को आरोपितों ने उन्हें कॉल किया और जॉब लगवाने के नाम पर ठगी की। काफी समय बाद भी नौकरी न मिलने पर उन्हें ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने पुलिस को मामले की जानकारी दी। मुकदमा दर्ज कर जांच में जुटी पुलिस कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए आरोपितों तक पहुंची। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक रिकार्ड से पता चला है कि आरोपित प्रति माह करीब 12 लाख रुपये बेरोजगारों से ठगते थे।

ऐसे हुई ठगी की शुरुआत

वर्ष 2016 में सत्यम कुमार दिल्ली के एक कॉल सेंटर में टेलीकॉलर का काम करता था। वहां उसकी मुलाकात सहकर्मी अविनाश से हुई। अविनाश ने उससे जल्द पैसा कमाने के लिए फर्जी जॉब पोर्टल बनाकर बेरोजगारों को ठगने की बात कही। दोनों ने योजना बनाई और फेक जॉब पोर्टल बनाकर ठगी का धंधा शुरू किया। सत्यम का भाई कुमार शिवम कई मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी कर चुका है। छह माह से उसकी नौकरी छूट गई थी। तभी से वह भाई के साथ ठगी के धंधे में शामिल हुआ।

कई फर्जी बेवसाइट बनाकर देते थे झांसा

आरोपितों ने नौकरी डॉट कॉम की तरह नौकरी-गो-डॉट-कॉम, नौकरी-प्लस-डॉट-कॉम और नौकरी-बिल्डर-डॉट-कॉम नाम से फेक जॉब पोर्टल बना रखे थे। जॉब मुहैया कराने वाली साइट से बेरोजगारों का डाटा उठाकर वे उन्हें इन तीनों फेक जॉब पोर्टल के नाम पर मेल भेजते थे। इसके बाद कॉल कर नामी कंपनियों में जॉब लगवाने की बात कहते थे। झांसे में आए बेरोजगार युवकों से पैसे ऐंठते थे। आरोपित पीड़ितों से कभी मिलते नहीं थे। ऑनलाइन फंड ट्रांसफर या पेमेंट एप से अपने खाते में पैसा ट्रांसफर कराते थे। आरोपितों ने द्वारका में किराये का फ्लैट लेकर कॉल सेंटर बना रखा था।

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