Delhi Fraud Case: एसडीएम के नाम से 100 से अधिक लोगों को जारी कर दिए फर्जी नियुक्ति पत्र
Delhi Fraud Case शिकायत के मुताबिक सुनंदा की तरह 100 से अधिक लोग विशाखा के जाल में फंसे और उन्होंने सरकारी नौकरी के लालच में रुपये देकर नियुक्ति पत्र लिया लेकिन जब पीड़ितों को कोई काम नहीं मिला तो नियुक्ति पर शक हुआ।
नई दिल्ली [गौरव बाजपेई]। Delhi Fraud Case: कोरोना काल में बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देकर पिता व पुत्री ने सैकड़ों युवाओं के साथ ठगी को अंजाम दिया। महिला विशाखा गुलाटी और उसके पिता अशोक गुलाटी ने दक्षिण-पूर्वी जिले के एसडीएम के नाम से 100 से अधिक लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए। शिकायत के मुताबिक सुनंदा राउत नाम की एक महिला का उसके एक परिचित ने सरिता विहार में रहने वाली विशाखा गुलाटी से परिचय कराया। विशाखा ने सुनंदा को बताया कि वह दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग में सीनियर एचआर के तौर पर कार्यरत है। सरकार को कोरोना काल में लोगों की जरूरत है, इसलिए अनुभव के आधार पर सीधी भर्ती की जा रही है। इसके लिए उन्हें पुलिस वैरीफिकेशन से लेकर सभी कार्य तीन दिन में पूरे कराने होते हैं, इसलिए 13 हजार रुपये देने होंगे। सुनंदा की कोरोना के चलते नौकरी छूटी हुई थी, इसलिए उन्होंने तुरंत रुपये दे दिए। दो दिन बाद ही उन्हें डाक से नियुक्ति पत्र मिला, जिसमें 65 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी की नियुक्ति देने की बात कही गई। इसके बाद सुनंदा ने अपने 14 परिचितों को विशाखा से मिलाया।
शिकायत के मुताबिक सुनंदा की तरह 100 से अधिक लोग विशाखा के जाल में फंसे और उन्होंने सरकारी नौकरी के लालच में रुपये देकर नियुक्ति पत्र लिया, लेकिन जब पीड़ितों को कोई काम नहीं मिला तो नियुक्ति पर शक हुआ। इसके लिए वह एसडीएम कार्यालय गए तो वहां पता चला कि उनके नियुक्ति पत्र फर्जी हैं।
कई सरकारी कार्यालयों तक है महिला की पहुंच
दिव्यांग पीड़ित विजय सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी जमापूंजी से 13 हजार रुपये विशाखा और उनके पिता अशोक के खाते में जमा किए थे। इसके बाद उन्हें आइकार्ड और नियुक्ति पत्र मिल गया था जिसके आधार पर आली विहार के पास स्थित आधार सेंटर में होमगार्ड के तौर पर उनसे करीब 15 दिनों तक काम भी कराया गया। जबकि, अन्य लोगों से विशाखा के घर में बने कार्यालय में ही काम कराया जाता था। वहीं, बत्रा अस्पताल में भी कई कर्मचारियों से कार्य कराया गया, लेकिन इसके लिए उन्हें कोई भुगतान नहीं किया गया।
राज खुलता देख बर्खास्तगी का पत्र दिया
विजय ने बताया कि उनके एक परिचित को महिला ने बिना किसी बात के बर्खास्तगी का पत्र भेज दिया था जिससे उन्हें शक हुआ और वह कालकाजी स्थित एसडीएम कार्यालय गए जहां से उन्हें अमर कॉलोनी स्थित एसडीएम कार्यालय भेजा गया। एसडीएम कार्यालय में कर्मचारियों ने उन्हें फर्जी दस्तावेज के मामले में कार्यालय में ही पूछताछ के लिए बैठा लिया, लेकिन बाद में आपबीती सुनकर एसडीएम पीआर कौशिक ने पीड़ितों से लिखित में शिकायत ली और सभी को जाने दिया।
एससी मीणा (एडीएम दक्षिण-पूर्वी जिला) का कहना है कि मामला संज्ञान में है। संबंधित एसडीएम के कोरोना संक्रमित होने के कारण जांच रुकी हुई थी। उनके सोमवार से पुन: कार्यालय आने के बाद जांच कर कार्रवाई की जाएगी
राजेंद्र प्रसाद मीणा (पुलिस उपायुक्त, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली) के मुताबिक, फर्जीवाड़े की बात प्राथमिक जांच में सही पाई गई है। जांच के आधार पर मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दे दी गई है। जल्द ही महिला को गिरफ्तार कर पूछताछ की जाएगी।
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