महिला रेजिडेंट डॉक्टर को प्रताड़ित करने के आरोप में फैकल्टी दोषी, कमेटी ने की कार्रवाई की सिफारिश
जांच कमेटी ने एसोसिएट प्रोफेसर स्तर के एक फैकल्टी को डेंटल सेंटर की वरिष्ठ महिला रेजिडेंट डॉक्टर को प्रताड़ित करने का दोषी पाया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एम्स प्रशासन द्वारा गठित जांच कमेटी ने एसोसिएट प्रोफेसर स्तर के एक फैकल्टी को डेंटल सेंटर की वरिष्ठ महिला रेजिडेंट डॉक्टर को प्रताड़ित करने का दोषी पाया है। फैकल्टी भी डेंटल सेंटर में ही कार्यरत हैं। जांच कमेटी ने फैकल्टी के खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्रवाई करने की सिफारिश की है। साथ ही इस मामले में सुरक्षा गार्ड सहित तीन अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है। हालांकि एम्स प्रशासन ने जांच के बाद कमेटी की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अब तक इस पर विभागीय कार्रवाई नहीं की गई है।
ऐसे में एम्स प्रशासन पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पीड़ित महिला डॉक्टर 17 अप्रैल को हॉस्टल के कमरे में बेहोश मिली थीं। उन्होंने खुदकुशी करने की कोशिश की थी। इस घटना से करीब एक माह पहले उन्होंने प्रताड़ित किए जाने की शिकायत दी थी। जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। आत्महत्या की कोशिश की घटना के बाद एम्स प्रशासन सक्रिय हुआ और नौ सदस्यीय जांच कमेटी गठित की।
इस जांच कमेटी के समक्ष महिला डॉक्टर ने अपने बयान में कहा कि वह 16 मार्च को डेंटल ओपीडी में एक मरीज के दांत का प्रोसिजर कर रही थीं। वह जिस डेंटल चेयर (चेयर ए) पर मरीज को बैठाकर प्रोसिजर कर रही थीं, उसका इस्तेमाल फैकल्टी करते हैं। इसी बीच उक्त एसोसिएट प्रोफेसर पहुंचे और चेयर खाली करने को कहा। ताकि वह अपने मरीज का प्रोसिजर कर सकें। हालांकि उस दिन उनकी ओपीडी नहीं थी। महिला डॉक्टर ने जवाब दिया कि 10 से 15 मिनट में उनका प्रोसिजर पूरा हो जाएगा। कोई दूसरा चेयर भी खाली नहीं था जिस पर मरीज को स्थानांतरित कर सकें। नजदीक के दूसरे चेयर पर जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर एक अन्य मरीज का प्रोसिजर कर रहे थे।
एसोसिएट प्रोफेसर ने जूनियर रेजिडेंट से उस मरीज का प्रोसिजर रुकवा कर चेयर खाली करा दी। जिसके बाद महिला डॉक्टर ने मरीज को दूसरे चेयर पर स्थानांतरित किया। साथ ही नाराजगी भी जाहिर की और यह आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार परेशान किया जाता है। इस पर दोनों के बीच कहासुनी तेज हो गई। महिला रेजिडेंट डॉक्टर का आरोप है कि एसोसिट प्रोफेसर ने उनके खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। कमेटी ने 12 कर्मचारियों के बयान लिए, जिसमें घटना वाले दिन ओपीडी में मौजूद फैकल्टी, जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, नर्स, अस्पताल सहायक व अन्य कर्मचारी शामिल थे। जिसमें यह बात समाने आई कि एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा गलत व्यवहार किए जाने पर दोनों तरह से आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया।
महिला डॉक्टर ने यह भी आरोप लगाया कि डेंटल सेंटर द्वारा उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया। सुरक्षा गार्ड ने भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि एसोसिएट प्रोफेसर को प्रोसिजर करना था तो 15 मिनट इंतजार कर लेना चाहिए था। उनकी वजह से दो मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ। जांच के दौरान गलत बयान देने पर प्रभारी नर्स व एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई करने की सिफारिश की गई। इसके अलावा सुरक्षा गार्ड के खिलाफ भी कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है। इस बाबत पूछे जाने पर एम्स प्रशासन का कहना है कि यह देखना पडे़गा कि इस मामले में क्या कार्रवाई हुई है।