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दिल्ली दंगों के आरोपितों को तिहाड़ जेल में मारने की बड़ी साजिश, स्पेशल सेल ने किया पर्दाफाश

Delhi Riots 2020 जेल में शाहिद और जेल के बाहर से असलम ने हत्या की साजिश रची थी। इसी के तहत जेल में बंद शाहिद के पास असलम ने पारा पहुंचाया था। इसका खुलासे होते ही दिल्ली पुलिस के साथ जेल प्रशासन में भी हड़कंप मच गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 10:27 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 11:55 AM (IST)
दिल्ली दंगों के आरोपितों को तिहाड़ जेल में मारने की बड़ी साजिश, स्पेशल सेल ने किया पर्दाफाश
इस खुलासे से दिल्ली पुलिस के साथ जेल प्रशासन में भी हड़कंप मच गया है।

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। Delhi Riots 2020: फरवरी, 2020 में उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद कई ट्रायल कैदियों की जान को खतरा होने की बात सामने आई है। दिल्ली पुलिस ने जेल में बंद दिल्ली दंगों के आरोपितों को जेल में मारने की बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया है और 2 आरोपितों की गिरफ्तारी का दावा भी किया है। पता चला है कि तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली दंगों के हिंदू आरोपितों को तिहाड़ जेल में मर्करी (पारा) देकर उनकी हत्या करने की साजिश रची जा रही है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, जेल में शाहिद और जेल के बाहर से असलम ने हत्या की साजिश रची थी। इसी के तहत जेल में बंद शाहिद के पास असलम ने पारा पहुंचाया था। इसका खुलासे होते ही दिल्ली पुलिस के साथ जेल प्रशासन में भी हड़कंप मच गया है। 

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गौरतलब है कि उत्तरी पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में दंगों के दौरान मौजपुर पुलिया और शिव विहार पुलिया के पास हत्या में आरोपित लोगों को मारने की साजिश रची गई थी। उधर, साजिश की भनक लगने पर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने टेक्निकल सर्विलांस रखना शुरू किया और फिर साजिश को नाकाम किया है।

तिहाड़ जेल से मर्करी जब्त, 2 आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने आरोपितों को पकड़ने के लिए पूरी तैयारी की। इसके लिए टेक्निकल सर्विलांस रखना शुरू किया। इसके बाद जब पूरे सबूत हाथ लगे तो स्पेशल सेल ने पूरे मामला का खुलासा किया है।

बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली की स्थानीय कोर्ट ने उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए दंगे के दो आरोपितों को हत्या का प्रयास करने के अपराध से मुक्त करते हुए रूसी कृति ‘अपराध और दण्ड’ को उद्धृत करते हुए टिप्पणी की थी। इसमें कहा गया है -‘सौ खरगोश मिलाकर आप घोड़ा नहीं बना सकते और सौ संदेह साक्ष्य नहीं बन सकते।' आरोपितों को जमानत देने के साथ ही कोर्ट ने सवाल किया था कि कैसे उनके खिलाफ हत्या का प्रयास का आरोप लगाया जा सकता है जब पीड़ित पुलिस जांच से अनुपस्थित है और कभी पुलिस के पास नहीं आया। कोर्ट ने कहा था कि पीड़ित ने गोली चलाने के बारे में अथवा भीड़ या दंगाइयों के बारे में कोई बयान नहीं दर्ज कराया था।


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