उन्नाव केस: कुलदीप सिंह सेंगर ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ किया हाई कोर्ट का रुख
भाजपा से बर्खास्त उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में वर्ष 2017 में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिए गए भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सेंगर ने तीस हजारी कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को आखिरी सांस तक कैद की सजा के साथ 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। सेंगर ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
मिली है आजीवन कारावास की सजा
गत 20 दिसंबर को न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने सजा सुनाते हुए कहा कि सेंगर को अपना शेष जीवन मौत तक जेल में बिताना होगा। न्यायाधीश ने कहा था कि कुलदीप सेंगर ने एक लोकसेवक होने के नाते अपने आधिकारिक पद का लाभ उठाते हुए दुष्कर्म किया था। सेंगर जनता का सेवक था, लेकिन उसने लोगों के साथ विश्वासघात किया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़ित की मां को मुआवजे के तौर पर अतिरिक्त 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाए। अदालत ने कहा, पीड़ित परिवार दिल्ली महिला आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए मकान में एक साल तक रहेगा और उत्तर प्रदेश सरकार इसके किराये के लिए प्रतिमाह 15 हजार रुपये का भुगतान करे। सेंगर को पॉक्सो एक्ट के तहत सजा सुनाई गई थी। अदालत ने जांच एजेंसी सीबीआइ की भी खिंचाई की थी।
पीड़िता के साथ हुआ था सामूहिक दुष्कर्म
इस मामले के साथ ही पीडि़ता से ही सामूहिक दुष्कर्म, पीडि़ता के पिता की हिरासत में हत्या और पीडि़ता को ट्रक से कुचलने की कोशिश के मामले अभी इसी अदालत में विचाराधीन हैं। हिरासत में हत्या व पीडि़ता को ट्रक से कुचलने की कोशिश के मामले में कुलदीप सेंगर भी आरोपित है।
दो आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज
पीड़ित के पिता की हत्या के मामले में तीस हजारी अदालत में एक गवाह का बयान दर्ज हुआ है। अदालत ने दो आरोपितों की जमानत अर्जी को भी खारिज कर दिया है। उत्तर प्रदेश पुलिस के तत्कालीन इंस्पेक्टर अशोक सिंह भदौरिया ने अपने चचेरे भाई के विवाह का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। दूसरे आरोपित शैलेंद्र सिंह उर्फ टिंकू की नियमित जमानत अर्जी को भी अदालत ने खारिज कर दिया।
10 लोग हैं आरोपित
इस मामले में कुलदीप सेंगर के अलावा उसका भाई अतुल सेंगर, माखी थाने के तत्कालीन प्रभारी अशोक ¨सह भदौरिया, एसआइ कामता प्रसाद, सिपाही आमिर खान सहित कुल 10 आरोपित हैं। अदालत ने कहा कि यह पूरा षड्यंत्र सिर्फ इसलिए रचा गया ताकि पीडि़ता अपनी शिकायत दर्ज न करा पाए।