आइसीयू बेड नहीं मिलने के कारण दिल का दौरा पड़ने के कारण पूर्व सैनिक ने अस्पताल के गेट पर तोड़ा दम
बेटे अंकित ने बताया कि 21 नवंबर को रात के समय उनके पिता को अचानक छाती में काफी तेज दर्द उठा। पर थोड़ी देर बाद दर्द में आराम होने के कारण उन्होंने फौरन अस्पताल न जाकर अगले दिन के लिए द्वारका सेक्टर-6 स्थित मणिपाल अस्पताल में अप्वाइंटमेंट ले लिया।
नई दिल्ली, मनीषा गर्ग। समय रहते नजफगढ़ निवासी एक पूर्व सैनिक को आइसीयू बेड नहीं मिलने के कारण उन्हें दिल का दौरा पड़ने के कारण द्वारका के एक अस्पताल के गेट पर उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल की तरफ से मरीज को कोई प्राथमिक इलाज उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके कारण मरीज ने दम तोड़ दिया। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इस बात से साफ इंकार किया है और कहा कि कोरोना महामारी के चलते दिल्ली सरकार के आदेशानुसार अस्पताल के 80 फीसद आइसीयू बेड कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित है। फिलहाल एक भी बेड खाली नहीं है, ऐसे में मरीज को आइसीयू बेड देना संभव नहीं था।
मृतक सतीश शर्मा 54 के बेटे अंकित ने बताया कि 21 नवंबर को रात के समय उनके पिता को अचानक छाती में काफी तेज दर्द उठा। पर थोड़ी देर बाद दर्द में आराम होने के कारण उन्होंने फौरन अस्पताल न जाकर अगले दिन के लिए द्वारका सेक्टर-6 स्थित मणिपाल अस्पताल में अप्वाइंटमेंट ले लिया। अगले दिन वे कोरोना जांच की रिपोर्ट लेकर दोपहर के समय अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। जहां चिकित्सकों ने फौरन उनकी ईसीजी की, जिसमें सतीश की हालत खराब बताते हुए चिकित्सकाें ने उन्हें दो घंटे प्राथमिक उपचार दिया। इसके बाद उन्हाेंने आइसीयू बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज को रेफर कर दिया।
अंकित बताते हैं कि उन्होंने अस्पताल प्रशासन से अपील की कि वे मरीज को दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए लाइफस्पोर्ट एंबुलेंस उपलब्ध करा दे, लेकिन अस्पताल की तरफ कोई मदद मुहैया नहीं कराई गई। इसके बाद वे मरीज को लेकर द्वारका सेक्टर-18 स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर गए। जहां एक बार फिर मरीज की ईसीजी कराई गई। चिकित्सकों ने बताया कि मरीज की हालत बेहद खराब है, हमारे पास आइसीयू बेड उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीज को ले जाए।
इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय बर्बाद हो गया और यहां भी अस्पताल प्रशासन की तरफ से एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई। जैसे ही अंकित अपने पिता को अस्पताल से बाहर निकले गेट पर एक बार फिर दिल का दौरा पड़ने के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया। इसको लेकर वेंकटेश्वर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उनके अस्पताल में दो ही एंबुलेंस है, जिसमें एक एंबुलेंस कोविड मरीजों को यहां-वहां ले जाने के लिए प्रशासन को सौंप दी गई है। जबकि दूसरी एंबुलेंस उस दौरान अस्पताल में नहीं थी। जबकि मणिपाल अस्पताल का कहना है कि मरीज को उस लाइफ स्पोर्ट एंबुलेंस की जरूरत नहीं थी।
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