फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह को कोर्ट ने 18 नवंबर तक ईडी की कस्टडी में भेजा
मलविंदर सिंह और RFL के पूर्व सीएमडी सुनील गोडवानी को दिल्ली की एक अदालत ने 18 नवंबर तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। फोर्टिस हेल्थ केयर के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और RFL के पूर्व सीएमडी सुनील गोडवानी को दिल्ली की एक अदालत ने 18 नवंबर तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया है। ईडी ने मलविंदर सिंह की 14 दिन की कस्टडी मांगी थी लेकिन कोर्ट ने सोमवार तक ही पूछताछ के लिए कस्टडी में भेजा।
मलविंदर सिंह और सुनील गोडवानी को ईडी ने गुरुवार को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया गया।
कोर्ट की अवमानना का दोषी
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटरों मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को शुक्रवार को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया। इन दोनों ने फोर्टिस हेल्थकेयर में अपने शेयर नहीं बेचने के शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन किया है।
शीर्ष कोर्ट ने इससे पहले सिंह बंधुओं से उनकी योजना के बारे में पूछा था कि वे जापान की दवा निर्माता कंपनी दाइची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान कैसे करेंगे? सिंगापुर के एक ट्रिब्यूनल ने सिंह बंधुओं को दाइची सैंक्यो को चार हजार करोड़ रुपये का भुगतान करने का फैसला सुनाया था।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने दिया फैसला
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर न्यायालय की अवमानना के दोषी हैं। पीठ ने कहा कि सिंह बंधुओं ने उसके पहले के उस आदेश का उल्लंघन किया है जिसमें उन्हें फोर्टिस समूह के अपने नियंत्रण वाले शेयरों की बिक्री मलेशियाई कंपनी आइएचएच हेल्थकेयर को नहीं करने के लिए कहा गया था। कोर्ट ने कहा कि वह सजा के सवाल पर बाद में सिंह बंधुओं की सुनवाई करेगा।
जापानी फर्म ने सिंह बंधुओं के खिलाफ कोर्ट की अवमानना याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि उनके पक्ष में दिया गया ट्रिब्यूनल का फैसला संकट में पड़ गया है क्योंकि सिंह बंधुओं ने फोर्टिस समूह में अपने नियंत्रण वाले शेयर मलेशिया की कंपनी को बेच दिए हैं।
दाइची ने 2008 में रैनबैक्सी को खरीद लिया था। बाद में उसने सिंगापुर ट्रिब्यूनल में मामला दायर कर आरोप लगाया कि सिंह बंधुओं ने शेयर बेचने के समय कंपनी के खिलाफ अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन और न्याय विभाग की चल रही जांच की जानकारी छिपा ली। जुर्माना चुकाने पर सहमति जताते हुए कंपनी ने अमेरिकी न्याय विभाग से समझौता कर लिया था। 2015 में कंपनी ने रैनबैक्सी में अपने शेयर सन फर्मा. को बेच दिए थे।
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