Tobacco Products Ban: पूर्व मुख्य सचिव का दावा- सौ फीसद लागू नहीं किया जा सकता कोई भी प्रतिबंध
किसी भी प्रकार के प्रतिबंध को जब भी लागू किया जाए तो उसे लागू कराने के लिए अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए।
नई दिल्ली। किसी भी प्रकार के प्रतिबंध को सौ फीसद लागू नहीं किया जा सकता। कोई भी वस्तु जो बहुतायत में प्रयोग की जाती हो, उसे अचानक से प्रतिबंधित किया जाना संभव नहीं है। इसमें तमाम तरह की अड़चनें आती हैं। सबसे बड़ी अड़चन होती है कि चीजों की बिक्री पर रोक लगती है, लेकिन उसके उत्पादन पर रोक नहीं लगती है। जिस चीज का उत्पादन लगातार किया जा रहा है, उसकी खपत को कैसे बंद किया जा सकता है।
ऐसे में सबसे पहले जरूरी है कि किसी भी प्रतिबंध को लोगों पर लागू कराने से पहले उसके उत्पादन पर रोक लगाई जाए। इसके बाद उसके भंडारण पर रोक लगाई जानी चाहिए। इसके बाद उसकी बिक्री और सबसे अंत में उसके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उत्पादन को रोके जाने से प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकता है।
इसके बाद भंडारण पर रोक लगाने से बड़े विक्रेताओं को पहचानकर कार्रवाई की जा सकती है। इसके बाद सीधे तौर पर बिक्री और प्रयोग पर प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए, तो किसी भी प्रकार का प्रतिबंध आसानी से और सही तरीके से लागू किया जा सकता है। हालात इसके विपरीत दिखाई देते हैं। सबसे पहले किसी भी चीज के प्रयोग पर रोक लगाई जाती है। इसके बाद उसकी बिक्री पर। सबसे अंत में उसके उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया जाता है। सही मायनों में जो व्यवस्था लागू की जानी चाहिए, उसे उल्टा लागू किया जाता है।
वहीं इससे भी जरूरी है कि इसमें सामाजिक सहभागिता को शामिल किया जाए। जिन चीजों पर प्रतिबंध लगाया जाता है, उसके दुष्परिणामों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए। समाज में बदलाव होते हैं, खूब बदलाव होते हैं, ऐसे में समाज में बदलाव लाकर सही तरीके से किसी भी वस्तु की बिक्री और प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जा सकता
इसके अलावा लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। लोग हमेशा किसी भी चीज पर प्रतिबंध के बाद उसके विकल्प की तलाश में जुट जाते हैं। बात जहां तक पान-मसाला, गुटखा, तम्बाकू उत्पाद, शराब आदि की है तो इसे सिर्फ किसी एक जगह, शहर या प्रदेश में प्रतिबंधित तो किया जा सकता है, लेकिन इसे लागू करने में परेशानी जरूर होगी। बार्डर से चोरी छिपे सभी चीजों की तस्करी होती है। चीजें महंगी भी हो जाती है। कुछ चीजों को स्टेटस ¨सबल से जोड़कर देखा जाता है, तो कुछ का उपयोग आदतन या फिर लत के कारण किया जाता है।
ऐसे में कोई भी ऐसी व्यवस्था सौ फीसद कामयाब नहीं हो सकती, जो सिर्फ किसी एक स्थान के लिए हो। अगर प्रतिबंध लगाया जाना है, तो सभी जगह उस पर प्रतिबंध लगे। इसके बाद उसके उपयोग करने वाले वर्ग को पहले जागरूक किया जाए, इसके बाद पुलिस व प्रशासन की मदद से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। चीजों की तस्करी करने वालों पर नजर रखी जाए। सजा के प्रावधान को और कड़ा किया जाए।
किसी भी प्रकार के प्रतिबंध को जब भी लागू किया जाए, तो उसे लागू कराने के लिए अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए। जिन विभागों को प्रतिबंध को लागू कराने की जिम्मेदारी दी जाती है, उनमें अलग से विशिष्ट रूप से टीमों का गठन किया जाए। जिनका कार्य सिर्फ इसी प्रतिबंध को लागू कराने और कार्रवाई कराने का होना चाहिए। उनके पास विभाग का कोई भी अतिरिक्त कार्य होगा, तो प्रतिबंध को लागू कराने में निश्चित रूप से दिक्कत होगी। उन्हें प्रतिबंध को लागू कराने के बारे में विशेष प्रशिक्षण किया जाए। कार्रवाई के प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया जाए। जिससे सही मायनों में प्रतिबंध को लागू किया जा सके। ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए कि प्रतिबंध लागू तो हो गया, लेकिन वह सिर्फ बातों और कागजों में ही सिमटकर रह जाए। उसका व्यापक असर समाज पर दिखाई देना चाहिए। पूर्व मुख्य आयुक्त ओमेश सहगल से लोकेश चौहान की बातचीत पर आधारित।
(दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल से संवाददाता लोकेश चौहान से बातचीत पर आधारित)