Move to Jagran APP

जेब के लिहाज से मुफीद दिल्ली की सबसे अच्छी मार्केट, जहां मिलता है जरूरत का हर सामान

Central Market News लाजपत नगर मार्केट में आप अपनी इच्छानुसार एसेसरीज़ कपड़े फुटवियर बैंग आदि खरीद सकते हैं। चाहे वो घर की साज-सज्जा हो या फिर रसोई से जुड़ी हर च्वाइस न्यू ट्रेंड वाली मिलती है। यहां पर सब मिलता है।

By Jp YadavEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 09:13 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 09:22 AM (IST)
जेब के लिहाज से मुफीद दिल्ली की सबसे अच्छी मार्केट, जहां मिलता है जरूरत का हर सामान
जेब के लिहाज से मुफीद दिल्ली की सबसे अच्छी मार्केट, जहां मिलता है जरूरत का हर सामान

नई दिल्ली [रजनीश पांडेय /भगवान झा]। भले दिखें एक जैसे लेकिन ग्राहकों की पसंद दिल्ली के हर बाजार को अलग बना देती है। क्यों सही कहा न, अब लाजपत नगर में हर आय वर्ग की जेब के हिसाब से सामान मिल जाता है। कीर्ति नगर के फर्नीचर बाजार की विदेश तक में धमक है। ऐसा भी नहीं ये बाजार सैंकड़ों वर्ष का इतिहास समेटे हैं लेकिन कस्टमर्स के विश्वास ने इन्हें विशेष बना रखा है। तभी तो इन्हें ग्राहकों के लिए अनुकूल, सुव्यवस्थित किया जा रहा है।

loksabha election banner

दिल्ली का बेहतरीन बाजार है लाजपत नगर। हां, आप सेंट्रल मार्केट भी कह सकते हैं। दक्षिणी दिल्ली में स्थित इस बाजार को कुछ ग्राहक इस नाम से भी जानते हैं। यूं तो फैशन का हर ट्रेंड दूसरे बाजारों में भी मिलता है, लेकिन फैब्रिक क्वालिटी का विश्वास उपभोक्ताओं को यहीं लेकर आता है। एक और खास बात है इस बाजार की। आप आएंगे तो कुछ चुनिंदा चीज लेने लेकिन हर बार कुछ न कुछ नया आकर्षण रहता है।

अब बात करते हैं इस बाजार के नाम की। जाहिर है स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय के नाम से सभी परिचित हैं। पंजाब के इन्हीं शेर के नाम पर उनके सम्मान में इसका नाम रखा गया था।

दक्षिणी दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन-दो, संत नगर, डिफेंस कालोनी, हरि नगर आश्रम और ईस्ट आफ कैलाश सहित विभिन्न प्रतिष्ठित क्षेत्रों को कनेक्ट करता है, कह सकते हैं ये आसपास के रिहाइश से घिरा हुआ है। यही वजह भी है कि लाजपत नगर को सेंट्रल मार्केट भी कहते हैं। मेट्रो से भी इस बाजार की कनेक्टिविटी है।

अब बात करते हैं लाजपत नगर बाजार के इतिहास की। वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद लाजपत नगर में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने शरण ली थी। लेकिन इन लोगों के लिए रोजमर्रा के आवश्यक सामानों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं थी। आसपास दूर तक जंगल ही जंगल था। धीरे-धीरे शरणार्थियों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने व खर्च चलाने के लिए खुद ही एक छोटी-सी मार्केट की शुरुआत की। समय के साथ जरूरतें बढ़ती गईं और बाजार का भी विस्तार होता गया।

वर्ष 1990 तक धीरे-धीरे समय के साथ मार्केट विकसित होती गई। इसे ही अब सब लाजपत नगर मार्केट के नाम से जानते हैं। सिर्फ दिल्ली तक ही नहीं, अब तो हर राज्य से विदेश से आने पर्यटकों का भी यहां से एक अलग ही जुड़ाव हो गया है। दिल्ली यात्रा पर आते हैं तो एक दिन सिर्फ लाजपत नगर मार्केट के नाम का होता है, आखिर देश के प्रसिद्ध बाजारों में शुमार है।

जेब के लिए एकदम फिट

सेंट्रल मार्केट (लाजपतनगर मार्केट) बाजार राजधानी के पाश इलाकों के बीच है तो लोग सोचते हैं कि केवल महंगे सामान ही उपलब्ध होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। सेंट्रल मार्केट में मंहगे व ब्रांडेड सामानों के साथ ही कम दाम व लोकल और टिकाऊ सामान भी उपलब्ध हैं। और लेडीज फैशन फैब्रिक्स की बिक्री के मामले में पूरे देश का केंद्र है। पूरे देश से लोग लेटेस्ट फैशन के लेडीज कपड़े खरीदने के लिए आते हैं। यहां दुकान लगाने वाले लेडीज फैशन व्यापारियों ने देश के अलग-अलग राज्यों में कपड़ों की फैक्ट्रियां भी लगा रखीं हैं। जहां से वे ग्राहकों के लिए अच्छी गुणवत्ता व उचित दामों वाले फैब्रिक्स को बनाकर उपलब्ध कराते हैं। साथ ही होलसेल में भी कपड़े उपलब्ध कराते हैं।

इसके साथ ही फिल्मों के कास्ट्यूम डिजाइनर्स के लिए तो यह पसंदीदा मार्केट में से एक है। यहां अक्सर फिल्म प्रोडक्शन के लोग डिजाइनर कपड़े खरीदने के लिए आते ही रहते हैं। फिलहाल सेंट्रल मार्केट अपने ट्रेंडी कपड़ों को लेकर सबसे अलग इमेज रखती है। चाहे भारतीय परंपरा के कपड़े हों या फिर वेस्टर्न ड्रेसेज, सेंट्रल मार्केट में सभी तरह के कपड़े बड़ी ही आसानी से मिल जाते हैं।

कुलदीप सिंह (दुकानदार व जनरल सेक्रेटरी, लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट) का कहना है कि मेरे दादा हरचंद देव 1947 में यहां आए थे और तब से हमारा परिवार यहां दुकान लगा रहा है। हमारी तीन पीढ़ी इस बाजार से जुड़ी हैं। पहले तो यहां जंगल ही जंगल थे लेकिन धीरे-धीरे हमारे दादा जी, उनके मित्रों के प्रयासों से मार्केट ने रफ्तार पकड़ ली और अब देश व विदेश से भी लोग खरीदारी के लिए यहां आते हैं।

संतोष (खरीदार) का कहना है कि मैं साल 1970 से लाजपतनगर सेंट्रल मार्केट से ही खरीदारी कर रही हूं। अपने सामने मार्केट को बढ़ते, फलते-फूलते देखा है। इससे मार्केट से विशेष लगाव जैसा हो गया है। महीने में कम से कम एक बार तो मैं मार्केट में खरीदारी के लिए आ ही जाती हूं। मार्केट में सारे सामान बेस्ट क्वालिटी के ही मिलते हैं।

मार्केट में लगभग सभी ब्रांड्स के शोरूम आसानी से मिल जाएंगे। सेंट्रल मार्किट में इंसेंस, चुनमुन, डब्लू, पीटर इंग्लैंड, लिवाइज, मोंटे कारलो, किंस, लक्की, नरगिस, क्यू, सीता फैब्रिक्स, रितु वियर्स, इनर सर्कल, मान्यवर, नारंग संस और बहुत सारे प्रसिद्ध शोरूम मौजूद हैं।

ये सारे शोरूम खरीदारों से अक्सर खचाखच भरे ही दिखाई देते हैं। भले शोरूम पर कितनी रौनक हो लेकिन कदम-कदम पर बने 200-400 रुपये में कुर्ती-टाप, जींस की बिक्री के मामले इसका कोई मुकाबला नहीं। हर लेटेस्ट ट्रेंड इसमें मिलेगा। वह भी बिल्कुल फैशनेबल व टिकाऊ। इसके अलावा जूते-चप्पल, अंडर गार्मेंट्स, पैंट-शर्ट, कुर्ते इत्यादि भी कम से कम दामों में मिल जाते हैं।

सेंट्रल मार्केट न सिर्फ शापिंग के लिहाज से उत्कृष्ट बाजार है बल्कि खाने के शौकीनों के लिए भी यहां बहुत सारी वैरायटी मिल जाएगी। हल्दीराम, डामिनोज, बर्गर किंग जैसे फूड चेन बेस्ड दुकानों के अलावा यहां मोमोज, दही-भल्ले, भल्ले पापड़ी और चाट इत्यादि भी लोगों को काफी आकर्षित करते हैं।

विकास अरोड़ा (दुकानदार) का कहना है कि हमारा प्रयास ये होता है कि यहां से कोई भी खरीदार खाली हाथ न लौटे। यहां बाजार में हर वर्ग के लोगों के लिए सामान उपलब्ध हैं और हम सभी तरह के खरीदारों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए ही काम करते हैं।

राकेश गुप्ता (खरीदार) के मुताबिक, करीब 40 सालों से लाजपतनगर सेंट्रल मार्केट में खरीदारी कर रहा हूं। मार्केट में उत्कृष्ट गुणवत्ता के लेडीज फैब्रिक्स के साथ ही जेंंट्स मार्केट की उत्तम गुणवत्ता के सामान उचित दाम में मिल जाते हैं। इस बाजार से चार दशक से जुड़ाव की मुख्य वजह यही है।

एशिया का सबसे बड़ा फर्नीचर बाजार यानी कीर्ति नगर

वर्ष 1974 से पहले मोतियाखान इलाके की फुटपाथ व छोटे-छोटे घरों में लकड़ी की ठक-ठक की आवाज दो वक्त की रोटी का सहारा हुआ करती थी। सीमित जगह के बीच लोग छोटे-छोटे फर्नीचर बेचकर गुजारा करते थे, लेकिन उस दौर में भी लोगों के सपने काफी बड़े थे। जगह की किल्लत व हो रही परेशानी को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण से बात की और इसी पहल ने कीर्ति नगर बाजार की मजबूत नींव डाली। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने कीर्ति नगर में न्यू टिंबर मार्केट का निर्माण किया और मोतियाखान इलाके में जगह की किल्लत से जूझ रहे लोगों को प्लाट देकर यहां अपना व्यवसाय बढ़ाने का अवसर दिया।

महज 48 वर्ष में कीर्ति नगर बाजार एशिया का सबसे बड़ा फर्नीचर बाजार बन चुका है। पहले यहां करीब डेढ़ सौ दुकानें ही मोतियाखान से आई थीं, लेकिन अब हालत यह है कि तीन किलोमीटर के दायरे में फैले इस बाजार में तीन हजार यूनिट काम कर रही हैं। यह बाजार फर्नीचर के लिए सिर्फ देश ही नहीं, विदेश में भी खासा प्रसिद्ध है।

बाजार में कारोबारी बदलते वक्त की लग्जरी डिमांड को बखूबी समझ रहे हैं और उसी हिसाब से फर्नीचर का नवीनीकरण कर रहे हैं। देश के विभिन्न राज्यों से लोग यहां पर खरीदारी करने आते हैं। अच्छी बात यह है कि बाजार में फर्नीचर की मैन्यूफैक्चरिंग भी होती है। अगर किसी ग्राहक को अपने हिसाब से लकड़ी का सामना बनवाना है तो वह यहां आसानी से हो जाती है। एक से एक शार्प कारपेंटर यहां है। कागज पर खींचे गए रफ स्केच को चंद घंटों में हकीकत का रूप देने का माद्दा ये कारीगर रखते हैं। इससे ग्राहक भी संतुष्ट होकर जाता है। हर बजट में फिट होने वाला सामान मिलेगा। मतलब, ग्राहक की संतुष्टि इस बाजार की सबसे बड़ी खासियत है।

1990 के आसपास यहां पर वूडेन के साथ लेदर, मेटल, रबर मिक्स फर्नीचर का चलन खूब जोर पकड़ा था, लेकिन ज्यादातर कारोबारी लकड़ी के साथ ही नए-नए प्रयोग करते रहे। कारोबारियों के मुताबिक नार्थ ईस्ट को छोड़कर यहां से फर्नीचर देश के सभी राज्यों में जाता है। प्रतिदिन इस बाजार में प्रतिदिन करीब पांच हजार ग्राहक आते हैं। इसके अलावा कई कारोबारी यहां से फर्नीचर को एक्सपोर्ट करते हैं। विदेश में रहने वाले कई भारतीय जब यहां आते हैं तो छोटे-मोटे लकड़ी के सामान यहां से जरूर ले जाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.