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दिल्ली-एनसीआर में हर साल बरसात में होता है यही हाल डूबता है सिस्टम, उठते हैं तमाम सवाल?

नगर निगम हो या अन्य स्थानीय निकाय.. बारिश से पहले नालों की सफाई करने की इनकी सारी रिपोर्ट तैयार हो जाती है। सभी को सफाई कराने की क्लीनचिट भी मिल जाती है लेकिन जब बारिश आती है तो उसमें डूबे हुए सिस्टम पर सवाल तैरने लगते हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 12:02 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 12:02 PM (IST)
दिल्ली-एनसीआर में हर साल बरसात में होता है यही हाल डूबता है सिस्टम, उठते हैं तमाम सवाल?
जब बारिश आती है तो उसमें डूबे हुए सिस्टम पर सवाल तैरने लगते हैं।

नई दिल्ली, टीम जागरण। नालियों से होने वाली जलनिकासी और छोटे-बड़े हर नाले का आकार और उसकी क्षमता को यदि समझ लिया जाए तो जलभराव की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन, दुर्भाग्य यह है कि इस दिशा में जरूरी पहल नहीं हो रही है। ऐसा भी नहीं कि योजनाएं नहीं बनती हैं। कागजों में योजनाएं बनती तो हैं, लेकिन ये फाइलों में ही कैद होकर रह जाती हैं। वैसे भी अधिकांश योजनाएं धरातल से कोसों दूर होती हैं। स्थिति यह है कि नगर निगम हो या अन्य स्थानीय निकाय.. बारिश से पहले नालों की सफाई करने की इनकी सारी रिपोर्ट तैयार हो जाती है। सभी को सफाई कराने की क्लीनचिट भी मिल जाती है, लेकिन जब बारिश आती है तो उसमें डूबे हुए सिस्टम पर सवाल तैरने लगते हैं। इस बार तो एयरपोर्ट तक अछूता नहीं रहा। जलभराव की नई-नई जगह तक बन गईं।

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सवाल यह है कि हम पुराने सिस्टम को आखिर कब तक कोसते रहेंगे। अब तो लंबा समय बीत गया, सिस्टम और उसकी कार्यप्रणाली में बदलाव दिखाई देना चाहिए। देखा जाए तो हर साल की बारिश नए सवाल खड़े कर जाती है। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, एनसीआर के सभी शहर गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद कोई अछूते नहीं हैं। आखिर जनमानस से जुड़ी इस बड़ी समस्या का निदान क्यों नहीं किया जाता? यदि नाली-नालों की सफाई होती है तो जलभराव कैसे हो जाता है? जलभराव के कारण यातायात ठप कैसे हो जाता है? इस व्यवस्था को दुरुस्त करने में नाकाम रहने पर आखिर क्यों नहीं होती कार्रवाई? इसी की पड़ताल करना हमारा आज का मुद्दा है :

बरसात के दिनों में दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर जलजमाव व जाम की समस्या आम है। कुछ देर की बारिश में भी यहां की सड़कें और गलियां जलमग्न हो जाती हैं। दफ्तर जाने-आने वाले लोगों को मिनटों का सफर तय करने में घंटों लग जाते हैं। जलजमाव से कई जगह लोग दुर्घटनाग्रस्त भी हुए हैं। लेकिन, संबंधित एजेंसियों के पास इस मर्ज का कोई इलाज नहीं है। या कहें कि वे करना नहीं चाहते। तभी तो बीते सालों की तुलना में इस साल जलजमाव वाले इलाकों में इजाफा देखने को मिला। दिल्ली-एनसीआर में जलजमाव वाले कितने हैं स्थान, क्या हैं कारण, जानेंगे आंकड़ों की जुबानी :

जलभराव के कारण

- नालों की सफाई और मरम्मत ठीक तरीके से ना होना

- नए नालों का निर्माण न होना

- सिविक एजेंसियों के बीच तालमेल का अभाव

- नाले-नालियां बंद होने से जल निकासी न होने से सड़कों पर आ जाता है बारिश का पानी

- नालियों पर लोगों ने कर रखा है अतिक्रमण

- आवासीय सेक्टरों के साथ ही औद्योगिक इलाकों में बाहरी नाली व नालों पर लोगों ने रैंप बना रखे हैं

- अंडरपास में बारिश का पानी निकालने के लिए लगाए गए संपवेल हैं खराब

जाम से होती परेशानी

- मरीज को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाते वक्त जाम का करना पड़ता है सामना

- दूध, फल, सब्जी, मेडिसन आदि इमरजेंसी सेवाओं की आपूíत पर पड़ता है प्रभाव

- चालक गड्ढों में गिरकर हादसे का होते हैं शिकार

- 20 से 30 फीसद अतिरिक्त ईंधन की होती है बर्बादी


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