दिल्ली एनसीआर के लिए अलग औद्योगिक नीति चाहते हैं उद्यमी
पीएचडी चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की हरियाणा काई की तरफ से सोमवार सायं आयोजित एमएसएमई कान्क्लेव में शामिल फरीदाबाद डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा का कहना है कि एनसीआर के उद्यमियों के लिए यह आवश्यक है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। विभिन्न औद्योगिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के चलते अब दिल्ली एनसीआर में नई औद्योगिक नीति पर बल दिया है। औद्योगिक संगठन चाहते हैं कि दिल्ली एनसीआर में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए यह नीति बनाई जाए ताकि उद्यमियों को होने वाली समस्याओं से निजात मिले। अभी तक एनसीआर में शामिल दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के जिलों में राज्यों द्वारा बनाई गई औद्योगिक नीति ही लागू हैं मगर ये सुप्रीम कोर्ट या नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अलग-अलग आदेशों के कारण निष्प्रभावी हो गई हैं। इससे एनसीआर में उद्योग चलाने वाले उद्यमियों को बड़ी परेशानी होती है। राज्य एनसीआर में कोर्ट के आदेश भी लागू करवाते हैं और एनसीआर के लिए अलग नीति भी नहीं बनाते।
पीएचडी चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की हरियाणा काई की तरफ से सोमवार सायं आयोजित एमएसएमई कान्क्लेव में शामिल फरीदाबाद डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा का कहना है कि एनसीआर के उद्यमियों के लिए यह आवश्यक है। इसके लिए हरियाणा सरकार को पहल करनी चाहिए क्योंकि एनसीआर में शामिल 57 फीसद क्षेत्र हरियाणा के ही 13 जिलों का है। मल्होत्रा ने अन्य उद्यमियों की सहमति के बाद हरियाणा सरकार को सुझाव दिया कि इसके लिए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश सरकार से भी बात की जानी चाहिए। इस कान्क्लेव की अध्यक्षता पीएचडी चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के हरियाणा चेप्टर के अध्यक्ष प्रणब गुप्ता ने की।
एचएसआइआइडीसी के भूखंडों पर मिलेगा 200 फीसद एफएआरएमएसएमई कान्क्लेव में हरियाणा राज्य औद्योगिक संरचना विकास निगम (एचएसआइआइडी) के प्रबंध निदेशक अनुराग अग्रवाल ने बताया कि अब एचएसआइआइडीसी के भूखंडों पर 200 फीसद फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) मिलेगा। इससे पहले यह 120 और 150 फीसद तक होता था। अग्रवाल के मुताबिक एनसीआर में जमीन कम होने के चलते यह निर्णय लिया गया है। इससे मौजूदा उद्योग भी अपने लिए एफएआर खरीदकर नया निर्माण कर सकते हैं और पुराने निर्माण को नियमित करा सकते हैं।
अनियमित औद्योगिक क्षेत्रों के लिए बनी नीति हो क्रियान्वित
हरियाणा सराकर ने सैद्धांतिक रूप से यह नीति बनाई हुई है कि जिन अनियमित औद्योगिक क्षेत्रों में 70 फीसद तक औद्योगिक निर्माण हो चुके हैं, उन्हें यथा स्थिति में नियमित कर दिया जाए। इस तरह की नीति राज्य में रिहायशी क्षेत्रों के लिए लागू है। अभी तक राज्य सरकार गुरुग्राम, फरीदाबाद सहित अन्य शहरों में करीब 500 कालोनियां नियमित कर चुकी है। फरीदाबाद में ऐसे अनियमित कलस्टरों में 10 हजार से अधिक छोटे-बड़े उद्योग हैं। इन्हें नियमित किया जाना चाहिए।
तीन साल में नहीं हुई एक भी बैठक
हरियाणा में राज्य सरकार सरकार ने उद्यमियों की समस्याएं सुनने के लिए जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में व राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शिकायत निवारण कमेटी का गठन किया हुआ है। इन कमेटियों में जिला स्तर पर उद्यमियों के आवेदन सुने जाते हैं जिसमें सभी विभागों के अधिकारी मौजूद होते हैं और वे मौके पर ही आवेदनों या शिकायतों का निपटान करते हैं। एमएसएमई कान्क्लेव में उद्यमियों ने बताया कि फरीदाबाद में पिछले तीन साल में महज 9 बैठक हुई हैं और राज्य स्तर पर एक भी बैठक नहीं हुई है। जबकि प्रतिमाह इस कमेटी की बैठक होनी थी।