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Weather Update: वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर खत्म, जानिए- इससे मौसम पर क्या पड़ेगा असर

मौसम विभाग का अनुमान है कि अब तापमान में बढ़ोतरी का क्रम शुरू होगा और सप्ताह के अंदर अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 08:11 AM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 11:24 AM (IST)
Weather Update: वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर खत्म, जानिए- इससे मौसम पर क्या पड़ेगा असर
Weather Update: वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर खत्म, जानिए- इससे मौसम पर क्या पड़ेगा असर

नई दिल्ली, जेएनएन। Weather Update बृहस्पतिवार को दिन में हुई हल्की बूंदाबांदी के साथ ही दिल्ली में पश्चिमी विक्षोभ का असर लगभग समाप्त हो गया है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अब तापमान में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू होगा। हालांकि होली के आसपास मौसम एक बार फिर करवट ले सकता है।

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मौसमी उतार-चढ़ाव के बीच इस बार सर्दियों का मौसम काफी लंबा खिंच गया है। बृहस्पतिवार को भी बादल, तेज हवा और हल्की बूंदाबांदी का क्रम बना रहा। खास तौर पर मौसम विभाग के पालम, सफदरजंग, लोधी रोड, रिज और आयानगर क्षेत्र में हल्की बूंदाबांदी या बरसात दर्ज की गई। इसके चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज हुई।

मौसम विभाग के मुताबिक, दिनभर का अधिकतम तापमान 24.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो सामान्य से पांच कम है। वहीं, न्यूनतम तापमान 11.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो कि सामान्य से चार कम है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अब तापमान में बढ़ोतरी का क्रम शुरू होगा और सप्ताह के अंदर अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। हालांकि, तापमान में बढ़ोतरी नहीं होने पर भी चिंता जताई जा रही है। माना जा रहा है कि मार्च में इस समय तो कम से कम इतनी ठंडी नहीं पड़नी चाहिए।

वायु गुणवत्ता हुई है प्रभावित

मौसम में बनी नमी के चलते वायु गुणवत्ता में बदलाव आया है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिनभर का औसत एयर इंडेक्स 266 रहा। इस स्तर की हवा को खराब श्रेणी में रखा जाता है।

वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) क्या है?

वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) जिसको पश्चिमी विक्षोभ भी बोला जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊंची तहों में भूमध्य सागर, अटलांटिक महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है। यह एक गैर-मानसूनी वर्षा का स्वरूप है जो पछुवा पवन (वेस्टर्लीज) द्वारा संचालित होता है।

वेस्टर्न डिस्टर्बन्स या पश्चिमी विक्षोभ का निर्माण कैसे होता है?

वेस्टर्न डिस्टर्बन्स या पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर में अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के रूप में उत्पन्न होता है। यूक्रेन और उसके आस-पास के क्षेत्रों पर एक उच्च दबाव क्षेत्र समेकित होने के कारण, जिससे ध्रुवीय क्षेत्रों से उच्च नमी के साथ अपेक्षाकृत गर्म हवा के एक क्षेत्र की ओर ठंडी हवा का प्रवाह होने लगता है। यह ऊपरी वायुमंडल में साइक्लोजेनेसिस के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न होने लगती है, जो कि एक पूर्वमुखी-बढ़ते एक्सट्रैटॉपिकल डिप्रेशन के गठन में मदद करता है। फिर धीरे-धीरे यही चक्रवात ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मध्य-पूर्व से भारतीय उप-महाद्वीप में प्रवेश करता है।

भारतीय उप-महाद्वीप पर वेस्टर्न डिस्टर्बन्स या पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव

वेस्टर्न डिस्टर्बन्स या पश्चिमी विक्षोभ खासकर सर्दियों में भारतीय उपमहाद्वीप के निचले मध्य इलाकों में भारी बारिश तथा पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कृषि में इस वर्षा का बहुत महत्व है, विशेषकर रबी फसलों के लिए। उनमें से गेहूं सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है, जो भारत की खाद्य सुरक्षा को पूरा करने में मदद करता है।

ध्यान दें कि उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम में आने वाले मानसून से वेस्टर्न डिस्टर्बन्स या पश्चिमी विक्षोभ का बिलकुल कोई सम्बन्ध नहीं होता। मानसून की बारिशों में गिरने वाला जल दक्षिण से हिन्द महासागर से आता है और इसका प्रवाह वायुमंडल की निचली सतह में होता है। मानसून की बारिश ख़रीफ़ की फ़सल के लिये ज़रूरी होती है, जिसमें चावल जैसे अन्न शामिल हैं। कभी-कभी इस चक्रवात के कारण अत्यधिक वर्षा भी होने लगती है जिसके कारण फसल क्षति, भूस्खलन, बाढ़ और हिमस्खलन होने लगता है।


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