Move to Jagran APP

दिल्ली के नामी अस्पताल में हेड कॉन्स्टेबल के बेटे ने डॉक्टर की तोड़ दी नाक, आज भी रहेगी हड़ताल

डॉक्टरों ने सोमवार को भी इमरजेंसी सेवा और ओपीडी बंद रखने का निर्णय लिया है। वहीं, आरोपित को शह देने में उसके पिता समेत दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 07:39 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 07:43 AM (IST)
दिल्ली के नामी अस्पताल में हेड कॉन्स्टेबल के बेटे ने डॉक्टर की तोड़ दी नाक, आज भी रहेगी हड़ताल
दिल्ली के नामी अस्पताल में हेड कॉन्स्टेबल के बेटे ने डॉक्टर की तोड़ दी नाक, आज भी रहेगी हड़ताल

नई दिल्ली, जेएनएन। पेट दर्द और हाइड्रोसील की शिकायत लेकर सफदरजंग अस्पताल पहुंचे दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल के बेटे और उसके दोस्त ने एक डॉक्टर से मारपीट की। मारपीट में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर की नाक की हड्डी टूट गई। इसके बाद दोनों युवक वहां से भाग निकले। घटना के विरोध में चिकित्सकों ने अस्पताल की इमरजेंसी सेवा को बंद कर दिया, जिस कारण लोग परेशान रहे। चिकित्सक आरोपित के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सोमवार को भी इमरजेंसी सेवा और ओपीडी बंद रखने का निर्णय लिया है। वहीं, आरोपित को शह देने में उसके पिता समेत दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।

loksabha election banner

बता दें कि रविवार को हेड कांस्टेबल वीरेंद्र की ड्यूटी सफदरजंग अस्पताल में बनी पुलिस पिकेट पर थी। उनका पुत्र अक्षय अपने दोस्त राजेश के साथ सुबह साढ़े सात बजे पेट दर्द और हाइड्रोसील की शिकायत लेकर सफदरजंग अस्पताल पहुंचा था। इमरजेंसी में मौजूद जूनियर रेजिडेंट डॉ. रविंद्रनाथ ठाकुर ने अक्षय की जांच की और इंजेक्शन लगवाने के लिए कहा। इसके लिए फार्म भरने के दौरान अक्षय और राजेश चिकित्सकों को गाली देने लगे। डॉ. रविंद्र ने गाली देने से रोका तो दोनों ने उनकी पिटाई कर दी। इससे उनकी नाक की हड्डी टूट गई।

डॉक्टरों को जब मारपीट का पता चला तो उन्होंने इमरजेंसी सेवा ठप कर दी। इससे इमरजेंसी के बाहर लोग इलाज के लिए परेशान रहे। वहीं, जिन लोगों के परिजन अस्पताल में भर्ती हैं और उनके पास कार्ड है, उन्हें भी अस्पताल में प्रवेश नहीं करने दिया गया। चिकित्सकों ने मामले की शिकायत सफदरजंग एंक्लेव थाना पुलिस से की है। चिकित्सकों का आरोप है कि वीरेंद्र व उनके साथी कांस्टेबल विनोद ने युवकों को रोकने के बजाय चिकित्सकों के साथ मारपीट करने को शह दी। हेड कांस्टेबल वीरेंद्र और कांस्टेबल विनोद को निलंबित कर दिया गया है। अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

तड़पते रहे मरीज, नहीं पसीजे धरती के भगवान
सफदरगंज अस्पताल में रविवार को जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर से मारपीट से खफा चिकित्सकों ने इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दीं। इससे मरीज जिंदगी और मौत से जूझते रहे। दर्द से कराहते मरीजों और तीमारदारों ने इलाज के लिए चिकित्सकों से मिन्नतें भी कीं, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। ज्यादातर मरीजों को सुरक्षाकर्मियों ने गेट से ही वापस लौटा दिया। एकाध के तीमारदार गुस्सा हुए तो मरीजों को भर्ती तो किया, लेकिन उनका उपचार नहीं किया। ऐसे में परिजनों को उन्हें मजबूरी में दूसरे अस्पताल ले जाना पड़ा। पहले से इमरजेंसी में भर्ती मरीजों के जो तीमारदार बाहर थे उन्हे भी अंदर जाने से रोक दिया गया।

रिश्तेदारों को नहीं मिलने दिया
इमरजेंसी में भर्ती खोड़ा के कुंवर पाल के बेटे हरवीर व गजेंद्र ने बताया कि कई रिश्तेदार अलीगढ़ से आए हुए थे, लेकिन किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया।

मौत से जूझ रहे युवक का नहीं किया उपचार
सड़क दुर्घटना में घायल मेरठ निवासी आशु को परिजन वेंटिलेटर पर लेकर अस्पताल पहुंचे थे। शुरुआत में चिकित्सकों ने उसे भर्ती करने से ही मना कर दिया। परिजनों ने नाराजगी दिखाई तो इमरजेंसी में भर्ती तो कर लिया, लेकिन उपचार शुरू नहीं किया। ऐसे में उसे घरवाले दूसरे अस्पताल ले गए। वहीं नोएडा सेक्टर-45 में रहने वाले शिव नारायण यादव को ब्रेन हेमरेज हुआ। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें भी गेट से लौटा दिया।

सूम बच्चों पर भी नहीं आया रहम
डॉक्टरों को मासूम बच्चों पर भी रहम नहीं आया। फरीदाबाद की रहने वाले डॉली के 20 दिन के बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। परिजनों ने उसको भर्ती कराने के लिए डॉक्टरों से खूब हाथ-पैर जोड़े, लेकिन उन्हें लौटा दिया गया।


इमरजेंसी में मार्शल तैनात करने की मांग पर अड़े डॉक्टर
केंद्र सरकार के सफदरजंग अस्पताल की इमरजेंसी में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर से मारपीट करने के मामले में एफआइआर दर्ज होने व दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के बावजूद अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल वापस लेने को तैयार नहीं है। अस्पताल प्रशासन भी रेजिडेंट डॉक्टरों को हड़ताल वापस लेने के लिए राजी करने में विफल रहा है। ऐसे में अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय के हस्तक्षेप के बाद ही हड़ताल खत्म हो पाएगी। क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टर इमरजेंसी में मार्शल तैनात करने व निजी सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि सोमवार को इमरजेंसी के अलावा ओपीडी सेवा भी ठप रहेगी। ऐसे में मरीजों के पहले से प्लान आपरेशन भी टालने पड़ सकते हैं। एसोसिएशन का कहना है कि अस्पताल प्रशासन स्वास्थ्य सचिव के साथ उनकी मुलाकात कराए।

उम्मीद है कि सुबह में मंत्रालय के अधिकारियों, रेजिडेंट डॉक्टरों व अस्पताल प्रशासन के बीच बैठक होगी। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश ठाकुर ने कहा इमरजेंसी में प्रतिदिन 1500 से दो हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। हर मरीज के साथ दो-तीन तीमारदार भी होते हैं। इस तरह इमरजेंसी सेंटर में प्रतिदिन पांच से छह हजार लोगों की आवाजाही रहती है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं हैं। इसलिए 40 मार्शल व गाडरें की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है।

वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 500 बेड की क्षमता वाले इस इमरजेंसी सेंटर में मंत्रलय द्वारा स्वीकृत करीब 350 गार्ड तैनात हैं। इसलिए गार्डों की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है। सफदरजंग का इमरजेंसी सेंटर देश का सबसे बड़ा सेंटर है। वहीं दूसरी ओर सफदरजंग अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज ठप होने से एम्स की इमरजेंसी में भी मरीजों का दबाव बढ़ गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.