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दिल्ली उपचुनावः जीत-हार से तय होगी AAP-BJP व कांग्रेस की राजनीति की राह

बुधवार को मतदान के बाद 28 अगस्त को आने वाले नतीजे ही बताएंगे। वहीं, अपनी-अपनी जीत के दावों के बीच तीनों दलों के प्रमुख नेताओं की धड़कनें तेज हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 07:55 AM (IST)Updated: Tue, 22 Aug 2017 07:56 AM (IST)
दिल्ली उपचुनावः जीत-हार से तय होगी AAP-BJP व कांग्रेस की राजनीति की राह
दिल्ली उपचुनावः जीत-हार से तय होगी AAP-BJP व कांग्रेस की राजनीति की राह

नई दिल्ली (सौरभ श्रीवास्तव)। दिल्ली के तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों आम आदमी पार्टी, भाजपा व कांग्रेस के लिए नाक की लड़ाई बन चुके बवाना विधानसभा उपचुनाव की घड़ी नजदीक आ गई है। ऊंट किस करवट बैठेगा, ये तो बुधवार को मतदान के बाद 28 अगस्त को आने वाले नतीजे ही बताएंगे।

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वहीं, इसमें संदेह नहीं कि इन दलों का प्रदर्शन दिल्ली की भविष्य की राजनीति के लिए काफी अहम साबित होगा। बहरहाल, अपनी-अपनी जीत के दावों के बीच तीनों दलों के प्रमुख नेताओं की धड़कनें तेज हैं।

इस चुनाव में बवाना से ही आप विधायक रहे वेद प्रकाश अपनी सीट से इस्तीफा देकर भाजपा के पाले से ताल ठोंक रहे हैं। प्रचार अभियान के दौरान वेद प्रकाश के पीछे पूरी भाजपा जोर-शोर से जुटी नजर आई।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के लिए इस चुनाव में जीत जहां उनके विजय रथ को और गति देगी, वहीं साथ लगती रोहिणी से विधायक और नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कद भी और ऊंचा करने में मदद करेगी। दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का ख्वाब देख रही भाजपा के लिए जीत उसका उत्साह बढ़ाने का काम करेगी।

पहले राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव और फिर निगम चुनाव में भाजपा से पराजित आप के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पार्टी के सभी मंत्री और बड़े नेताओं ने उम्मीदवार रामचंद्र को जिताने में दिन-रात एक कर दिया।

रामचंद्र पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी थे और इस बार आप के टिकट पर मैदान में हैं। भाजपा को भले इस चुनाव में हार से कोई खास फर्क न पड़ता हो, लेकिन आप के लिए यह चुनाव जीतना अपनी पार्टी को संगठित रखने व सियासत में अपना रसूख कायम रखने के नजरिये से भी जरूरी है।

पूर्व में बवाना से तीन बार कांग्रेस विधायक रह चुके सुरेंद्र कुमार इस बार भी यहां से इसी पार्टी से चुनावी मैदान में हैं। विगत विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न हासिल करने और नगर निगम चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के लिए यह चुनाव जीतना जीवन-मरण का प्रश्न बन गया है।

पार्टी की इस चुनाव में जीत हतोत्साहित कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए जरूरी है। मौजूदा समय में कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया जारी है। बवाना उपचुनाव हारने की स्थिति में प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के विरोधियों को उनपर हमला करने का मौका मिलेगा।

इसे देखते हुए माकन ने प्रचार में खूब पसीना बहाया है। इस तरह से यह चुनाव तीनों प्रमुख दलों के लिए काफी अहम साबित होने वाला है। इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि चुनाव परिणाम दिल्ली में आगे की सियासत को प्रभावित करेगा।


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