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शिक्षाविद अतुल कोठारी ने डीयू के प्राचार्यों को बताई नई शिक्षा नीति की खासियत

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी कहा कि 150 वर्ष बाद भारतीय संस्कृति के अनुरुप शिक्षा नीति तैयार की गई है। भारत की आजादी के बाद यह तीसरी शिक्षा नीति है। 1968 और 1986 में शिक्षानीति आयी थी। लेकिन ये भारतीय समग्रता के भाव से दूर थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 07:30 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 07:30 PM (IST)
शिक्षाविद अतुल कोठारी ने डीयू के प्राचार्यों को बताई नई शिक्षा नीति की खासियत
भारत की आजादी के बाद यह तीसरी शिक्षा नीति है।

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं इसके क्रियान्वयन के संबंध में एक गोष्ठी आयोजित हुई। डीयू नार्थ कैंपस में आयोजित गोष्ठी में डीयू के लगभग 60 प्राचार्यों ने भाग लिया। प्रसिद्ध शिक्षाविद अतुल कोठारी मुख्य वक्ता के रूप में शरीक हुए। कार्यक्रम में कार्यकारी कुलपति प्रो पीसी जोशी, कुलसचिव डॉ विकास गुप्ता, डीन आफ काॅलेज प्रो बलराम पाणि भी मौजूद थे। कार्यकारी कुलपति ने कहा कि डीयू में नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए 48 सदस्यीय समिति गठित की गई है।  

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 150 वर्ष बाद भारतीय संस्कृति के अनुरुप तैयार की गई है शिक्षा नीति 

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी कहा कि 150 वर्ष बाद भारतीय संस्कृति के अनुरुप शिक्षा नीति तैयार की गई है। भारत की आजादी के बाद यह तीसरी शिक्षा नीति है। 1968 और 1986 में शिक्षानीति आयी थी। लेकिन, ये दोनों ही भारतीय समग्रता के भाव से दूर थी। नई शिक्षा नीति में शोध को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। सरकारी और निजी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक समान मानदंड तय किये जाएंगे। 

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसलिए है खास

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के अलग-अलग स्तरों पर सभी विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा, कला, संस्कृति एवं मूल्यों का समावेश की बात कही गयी है। स्वतंत्रता पश्चात पहली बार ऐसा हुआ है कि सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु विशेष शिक्षा क्षेत्र की स्थापना की जाएगी। भारतीय भाषाओं में शिक्षण देने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों को बढ़ावा दिया जाएगा। बकौल अतुल कोठारी साल 2025 तक कालेज, विवि स्तर के 50 फीसद छात्र व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञान अर्जित करेंगे। अगामी एक दशक में व्यवसायिक शिक्षण को धीरे-धीरे मुख्य शिक्षा की धारा में ही समावेश किया जाएगा। 

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